Book Title: Karmagrantha Part 5 Shatak
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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अनुक्रमणिका गाथा १
मंगलाचरण ग्रन्थ के वर्ण्य-विषयों का संकेत
कतिपय वर्ण्य-विषयों की परिभाषाएं गाथा २
ध्रुवबन्धिनी प्रकृतियों के नाम मूलकर्म प्रकृतियों की अपेक्षा ध्र बबन्धिनी प्रकृतियों का वर्गीकरण
ध्रुवबन्धिनी प्रकृतियों के ध्र वबन्धित्व का कारण गाथा ३, ४
१४-२२ अध्र वबन्धिनी प्रकृतियों के नाम अध्र वबन्धिनी प्रकृतियों का मूल कर्मों की अपेक्षा वर्गीकरण अध्र वबन्धिनी मानने का कारण कर्मबन्ध और कर्मोदय दशा में होने वाले भंगों का कारण २०
अनादि, अनन्त आदि चार भंगों का स्वरूप गाथा ५
२२-२६ ध्रव और अध्र व बंध, उदय प्रकृतियों में उक्त भंगों के विधान का सोपपत्तिक वर्णन
गो० कर्मकाण्ड में प्रदर्शित भंगों के साथ तुलना गाथा ६
२६-२६ ध्र वोदय प्रकृतियों के नाम ध्र वोदय प्रकृतियों का मूल कर्म प्रकृतियों की अपेक्षा वर्गी करण उक्त प्रकृतियों को ध्र वोदया मानने का कारण
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