Book Title: Kalpantarvcahya
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Sharadaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 20
________________ लक्षणाधिकारः वसह पडागा कमलाभिसेय केकी सुदाम इच्चाइ । सामुद्दय-सत्यंसि लक्खणमण्णं च जं भणियं ॥ १२१ ॥ कल्पान्तर्वाच्यः ] कर-पाय-तलाईसु एयागाराणि जत्थ दीसंति । पागय-मणुयाण पुणो बत्तीसं लक्खणा हुंति ।। १२२ ।। अट्ठसयं बलदेव- वासुदेवाण हुंति सुपसत्था । अट्टुत्तरं सहस्सं तित्थगर-चक्कवट्टीणं ।। १२३ । चक्खु - नेहेण सोहग्गं दंतनेहेसु भोयणं । तया- नेहेण अइसुक्खं नह- नेहे महाधणं ॥ १२४॥ झय-वज्र -छत्त-अंकुस - संख - पउमा य पाणि पाएसु । दीसंति जस्स स भवइ लच्छिवई नत्थि संदेहो ।। १२५ ।। सत्थिए जण - सोहग्गं, मीणे सव्वत्थ पुज्जया । सिरिवच्छे वंछिया लच्छी गवाइ-दामएण उ ॥ १२६ ॥ पुत्तया करहे रेहा कणिट्ठाहो कलत्तया । अंगुट्ठ- मूले रेहाओ भाइ-भंडाणि संसइ ॥ १२७ ॥ थूल-रेहा दरिद्दाउ तणु-रेहा महाधणा । खंडिय-फुडिय-रेहा बिंति आउक्खयं तेसिं ॥ १२८ ॥ बत्तीस दसणो राया एगतीसो य भोगवं । तीस दंतो सुही निच्चं तओ हीणो दुही सया ॥ १२६ ॥ कुंद- दंतो भवे भोगी विज्जावं दंतुरो सया । दुक्खी रुक्खेहिं दंतेहिं बीभच्छेहिं तहा पुणो ॥ १३० ॥ मुय-नासो सिया राया हस्स नासो हुधम्मिओ । सुलग्गा नासिया सिं ते नरा पतेगप्पिया ॥ १३१ ॥ साण तुल्लेसणा चोरा पिंगक्खा कूर-कम्मठा । गवक्खा सुभगा या केगरक्खा दुरासया ।। १३२ । अद्धचंद-समे भाले राया धम्मिट्ठ उण्णए । विजा-भागी विसाले हु विसमे निद्धणो दुही ।। १३३ ।। जहा नित्ते तहा सीलं जहा नासा तहज्जवं । जहा रूवं तहा वित्तं जहा सीलं तहा गुणा ॥ १३४ ॥ [ ११

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