Book Title: Kalpantarvcahya
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Sharadaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 85
________________ ७६ ] स्थूलभद्रः कल्पान्तर्वाच्यः निक्कासिया उ रण्णा नयराओ बिडालियाओ सव्वओ। सत्त-दिणे तयागारऽग्गल-पायेणाऽऽहओ बालो।। ८७६ ॥ जाया गुरुप्पसंसा निंदा पुण तस्स आसि सो कोवा । मरिउं वंतर-देवो संघमुद्दवइ रोगेणं ।। ९८०॥ उवसग्गहरं थुत्तं काऊणं जेण संघ-कल्लाणं। करुणायरेण विहियं स भद्दबाहू गुरू जयउ॥ ८८१॥ संभूइविजय-भद्दबाहू वीराओ सग्गिणो जाया। इगसय पणहत्तरीए काउं सिरि थूलभद्द-पये ॥ ८८२॥ संखित्त-वायणाए अज-जसभद्दाओ अग्गओ एवं थेरावली भणिया, तं जहा-थेरस्स णं अज-जसभद्दस्स तुंगियायण-सगुत्तस्स अंतेवासी दुवे थेरा-थेरे अज्जसंभूअविजए माढर-सगुत्ते, थेरे अज्जभद्दबाहू पाईण-सगुत्ते। थेरस्स णं अज्जसंभूअविजयस्स माढरसगुत्तस्स अंतेवासी थेरे अज्ज-थुलभद्दे गोयमसगुत्ते॥....... पाडलिपुरे नंद-पहू सगडालो मंति तस्स दो जाया। सिरिओ य थूलभद्दो कोसा-गिहि बार-वरिस-ट्ठिओ॥८८३॥ पिउ-मरणाइ-सवणा जायसंवेगओ सयं चेव। कयलोओ निक्खंतो कंबल-रयण-कय-रयहरणो॥८८४॥ सिरिसंभूइविजय-गुरू पासे गंतूण दिक्ख-पडिवण्णो। गुरु-कहणा कोसा-गिह सडरसभोई ठिओ वासं ॥८८५॥ सिंहगुहाहिबिल-कूव मज्झठिय-कट्ठ वासया तिण्णि। मुणिणो वासारत्तं पुरित्ता आगया ताहे ॥९८६॥ गुरुणा भणियं सागय दुक्करकरणंति किंचि उद्वित्ता । सिरिथूलभद्दमुणिणो आगमणे उठ्ठिया गुरूवो॥८८७॥ दुक्कर-दुक्कर कारग! सागयमुत्ते सुजाय-खेया ते। आगामिय-चउमासे सीहगुहा जई गओ तत्थ ।।८८८॥ तं दळूणं खुद्धो तव्वयणा गओ य नेवालं । पडिबोहिओ य तीए रयणकंबल-पवरनाएणं ॥८८६॥

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