Book Title: Kalpantarvcahya
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Sharadaben Chimanbhai Educational Research Centre
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५८] गुरुप्रसादवर्णनम्
..[ कल्पान्तर्वाच्यः तोत्तेण तं ताडेइ तोत्ते भग्गे सकोवओ। कदारमट्टि-खंडेहिं हणेइ निद्दयं जहा ।१०२२ ।। करित्ता मट्टिया कूडं तरसोवरि गओ गिहं। सुयं तं विप्प-वग्गेहिं पंतिओ सो बहिं कओ॥२३॥
. इति रोषो न कार्यः... वासावासं पजोसवियाणं इह खलु निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अजेव कक्खडे कडुए विग्गहे समुप्पज्जित्था सेहे राइणियं खामिज्जा, राइणिए वि सेहं खामिज्जा (ग्रं. १२.००) खमिअव्वं खमाविअव्वं उवसमियव्वं उवसमावियव्वं सुमइ-संपुच्छणा-बहुलेण होयव्वं । जो उवसमइ तस्स अस्थि आराहणा, जो न उदसमइ तस्स नत्थि आराहणा, तम्हा अप्पणा चेव उवसमियव्वं, से किमाहु भंते !? ...
उवसमसारं खु सामण्णं॥ सूत्र ५६ ॥ सामाचारी.... नित्ति मिउ मद्दवत्ति छत्ति य दोसाण छायणे होइ। मित्ति य मेराइ-ट्ठिओ दुत्ति दुर्गच्छामि अप्पाणं ।। १०२५ ।। कत्ति कडं मे पावं डित्ति य डेवेमि उवसमेणं ति। एसो मिच्छादुक्कड-पयवखरत्यो समासेण ।। १०२६॥ जं दुक्कडं ति मिच्छा तं चेव पुणो निसेवह पावं। पच्चक्ख-मुसावाई माया-नियडी-पसंगो य ।। १०२७॥ जह कुंभारग-खुल्लग-मिच्धुक्कडयं तहा न दायव्वं । मिच्छुक्कडयं देयं मिगावई चंदणाइव्व ॥ १०२८॥ अण्णंमि दिणे वीरं कोसंबीए समोसढं नच्चा। . चंदाइच्चा नमिरं मूलाठमाणेण संपत्ता ।।१०२६॥ वियाणिऊण वेलं गया नियालयं चंदणा अज्जा । मियावई समणी पुण चिट्ठइ तत्थेव जिणभत्ता॥१०३०॥ भगवंतं वंदित्ता चलिया जा चंद-दिणयरा दो वि। ता जायमंधयारं मिगावई लज्जिया चलिया॥१०३१॥ गुरुणी पासे पत्ता गुरुणी पभणइ न सुंदरं एयं। जं समणीणं ठाणं साहु-पासंमि रत्तिए॥१०३२॥

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