Book Title: Kalpantarvcahya Author(s): Pradyumnasuri Publisher: Sharadaben Chimanbhai Educational Research Centre View full book textPage 1
________________ उद शटलं बाल हे लछ। फलात् हिं। सचरियं वरं यशरियं मर ग यज्ञालं विसालं नाहा। पी हरु इमालिन्दर रिसीवातावरंद३५ मा कम्म निर मोसेघलटारबा६ विधाय गं खुद करबाले पाल गहिरियं च किं चि दिये नाम | ६४] इंदर सासमा रिस तवग सरी ६५ राज विदिजंग स्था। पंडिया सिरिअल वद्दरा दरम दिमा/६६) जानूय ये वरदाराम य ॥ येषायः॥ २८६ ॥ ब ।। रहेग Il 11 क्षा ! श्री नगर्षिगणिविरचितः कल्पान्तर्वाच्यः ॥ सम्पादक : पूज्यपाद शासनसम्राट श्री नेमि-अमृत- -देव हेमचन्द्रसूरि-शिष्य आचार्यश्री विजय प्रद्युम्नसूरिःPage Navigation
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