Book Title: Kalpantarvcahya
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Sharadaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 10
________________ णमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स ॥ ___ श्री सुधर्मस्वामिने नमः ॥ नमोनमः श्री गुरुनेमिसूरये ॥ श्री नगर्षिगणिविरचितः कल्पान्तर्वाच्यः॥ पणमिय वीर-जिणिंदं अप्प-मईणं सुहावबोह-कए। कप्पंतर-वच्चाणं उद्धारं किंचि कुब्वे हं॥१॥ पुरिम-चरिमाण कप्पो मंगलं वद्धमाण-तित्थंमि। इह परिकहिया जिण-गण-हराइ-थेरावली-चरितं ॥२॥ पुरिम-चरिम-जिणाणं सीसाणं एस कप्पओ चेव । जं वासासु पज्जोसविजइ वासं पडउ मा वा ॥३॥ मज्झिमगा भयणिज्जा वासं पज्जोसविंति वा नो वा।। कप्पो दसहा भणिओ जहक्कमं चेव वुच्छामि ॥ ४॥ 'आचेलक्कद्देसिय ३सिज्जायर-'रार पेंड कियकम्मे। ६वय-"जिट्ट-प्पडिक्कमणे मासं १ पञोम्वण-कप्पे ॥५॥ पुरिमंतिम-जिण मुणिणो सेय-पमाणाववेयमवि वत्थं । धारंति सेसया पुण जहोवल जहाजुग्गं ॥६॥ (१) एगुद्देसेण कडं असणाइ पुरिम-चरिम-साहूणं। . सव्वेसिं नो कप्पइ मज्झिमगाणं जमुद्दिस्स ॥७॥ (२)

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