Book Title: Kalpantarvcahya
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Sharadaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 12
________________ पर्युषणाकल्पः सो नवरं होइ विण्णेओ ॥ २४ ॥ पुरिमंतिम-तित्थगराणं मासकप्पो ठिओ मुणेअव्वो । मज्झिमगाण जिणाणं अवट्ठिओ एस विण्णेओ ॥ २२ ॥ दोसासइ मज्झिमगा अच्छंति य जाव पुव्व-कोडी वि । इहराओ न मासं पि हु, एवं खु विदेह - जिण - कप्पी ॥ २३ ॥ ( ९ ) पज्जोसवणा- कप्पो चेवं पुरिमेयराइ-भेएणं । उक्कोसेयर - भेओ; चाउम्मासुकोसो सत्तरि राइंदिया जहण्णो य । थेराण जिणाणं पुण नियमा उक्कोसओ चेव ॥ २५ ॥ इत्थ य अणभिग्गहियं वीसइ - राई सवीसइ-मासो । तेण परमभिग्गहियं गिहिनायं कत्तियं जाव ॥ २६ ॥ काऊण मास - कप्पं तत्थेव ठिआण तीस मग्गसिरे । सालंबल (न) याणं पुण छमासिओ होइ जिट्टुग्गहो ॥ २७ ॥ काई अभूमी संथारए य संसत्त दुल्लहे भिक्खे | एएहिं कारणेहिं अपत्ते होइ निग्गमणं ॥ २८ ॥ राया सप्पे कुंथू अगणि गिलाणे य थंडिलस्स असईए । एएहिं कारणेहिं अपत्ते होइ निग्गमणं ॥ २६॥ वासं वा नोवरमइ पंथा वा दुग्गमा सचिखल्ला । एएहिं कारणेहिं अइक्कंते होइ निग्गमणं ॥ ३० ॥ असिवे ओमोयरिए रायदुट्ठे भए य गेलण्णे । एएहिं कारणेंहिं अपत्ते होइ निग्गमणं ॥ ३१॥ कल्पान्तर्वाच्यः ] दुग - तिणि- सत्त-वारा उड्डु वासासु न हणंति तं खित्तं । चउरट्ठाइ हणंति जंघा वि अवरेणं ॥ ३२ ॥ ध्रुव-लोओ उ जिणाणं निच्चं थेराण वास - वासासु । असहु-गिलाणगस्स वि नाइकमिज तं रयणिं ॥ ३३ ॥ (१०) आचेलुक्कुद्देसिय पडिक्कमणे रायपिंड - मासेसु । पज्जोसवणाकप्पंमि य अट्ठियकप्पा मुणेयव्वा ॥ ३४ ॥ सिज्जायर - पिंडंमि य चाउजामे य पुरिस-जिट्टे य । किइकम्मस्स य करणे ठियकप्पा मज्झिमगाणं पि ॥ ३५ ॥ [ ३

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