Book Title: Kalpantarvcahya
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Sharadaben Chimanbhai Educational Research Centre
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६८ ] ऋषभदेवचरितम्
[ कल्पान्तर्वाच्यः सेसाओ दंडनीई माणवग-निहिओ टुति भरहस्स। राया करेई दंडं सिढे ते बिंति अम्ह विसोहो उ॥७८४ ॥ मग्गह य कुलगरं सो बेई उसभो य भे राया। • • • • • • • . . . . . . . . . . . . ॥७८५॥ आभोएउं सक्को उवागओ तस्स कुणइ अभिसेयं । मउडाइ-अलंकारं नरिंद-जुग्गं च से कुणइ॥७८६॥ भिसिणीपत्तेहि परे उदयं घित्तुं छुहंति पाएसु। साहुविणीया य पुरिसा विणीय-नयरी अह निविट्ठा ॥७८७॥ आसा हत्थी गावो गहियाइं रज्ज संगह निमित्तं । घित्तूण एवमाइ चउव्विहं संगहं कुणइ ।।७८८॥ उग्गा भोगा राइण्ण खत्तिया संगहो भवे चउहा। आरक्खि-गुरु-वयंसा सेसा से खत्तिया ते य॥७८६ ॥ आसी य कंदाहारा मूलाहारा य पत्तहारा य। पुप्फ-फल-भोइणो वि य जइया किर कुलगरो उसभो ॥७६०॥
ओमं आहारित्ता अजीरमाणंमि ते जिणमुविंति। हत्थेहिं घंसिऊण आहारेह त्ति ते भणिआ॥७६१ ॥ आसी य पाणि-धंसी तिमिय तंडुल पवाल-पुडभोई। हत्थतल-पुडाहारा जइया किर कुलगरो उसभो ॥७६२ ।। अगणिस्स य उट्ठाणं वणघंसा दव भीय परिकहणं । पासेसु परिछिंदह गिण्हह पागं च तो कुणह ॥७६३॥ पक्खेव-डहणमोसहि कहण निग्गमण हत्थि-सीसंमि । पयणारंभ-पवित्ती ताहे कासी य ते मणुया॥७६४ ॥ पंचेव य सिप्पाइं घड-लोह-चित्त-तत-कासवए। इक्किक्कस्स य इत्तो वीसं वीसं भवे भेया।।७६५ ।। लेहं लिवी विहाणं जिणेण बंभीइ दाहिण करेणं। गणियं संखाणं सुंदरीइ वामेण उवइटुं ॥७६६॥
उसभे णं अरहा कोसलिए एगं वास-सहस्सं निच्चं वोसड्ढकाए चियत्तदेहे जे केइ उवसग्गा जाव अप्पाणं भावमाणस्स इक्कं वास-सहस्सं वइक्वंतं तओ

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