Book Title: Kalpantarvcahya
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Sharadaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 88
________________ [७६ कल्पान्तर्वाच्यः रोहगुप्तः थेरस्स णं अजथूलभद्दस्स गोयमसगुत्तस्स इमे दो थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तं जहा-थेरे अज्ज महागिरी एलावच्चसगुत्ते, थेरे अज्जसुहत्थी वासिठ्ठ-सगुत्ते। थेरस्स णं अज्जमहागिरिस्स एलावच्चसगुत्तस्स इमे अट्ठ थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तं जहा थेरे उत्तरे, थेरे बलिस्सहे, थेरे धणड्डे, थेरे सिरिड्डे, थेरे कोडिण्णे, थेरे नागे, थेरे नागमित्ते थेरे छलूए रोहगुत्ते कोसियगुत्ते णं । थेरेहितो णं छलूएहितो रोहगुत्तेहिंतो कोसिय-गुत्तेहितो तत्थ णं तेरासिया निग्गया........।। पणसय-चोयालीसे वरिसे सिरिवीरजिणवरिंदाओ। पुरमंजिया-पुरीए भूवालो बलसिरी नाम ।। ६१५॥ सिरिगुत्तायरियाणं सीसो रोहगुत्त नामओ तत्थ । परिवाई-वायकुसलो समागओ वाय-करणत्यं ।। ६१६॥ विजाए मह उयरं फुट्टइ तेण त्ति बद्धयर-पट्टो। विच्छू सप्प य मूसग मिगी वराही काग सउणी।। ६१७॥ इय विजासत्त-जुओ तेण पवाइय पडहो य वजंतो। विजा-बलिएण तया निवारिओ रोहगुत्तेण ।। ६१८॥ गुरुणा कुडिली एसो नाउं तव्वारिणीओ विजाओ। दिण्णा य पाढ-सिद्धा जिणसासण-पभावणत्थं च॥६१६॥ मयूरी नउली चेव बिलाडी वग्घिणी तहा। सिंही उलूगी ओलावी रयहरणं च मंतियं ।। ६२०॥ रायसहाए दो पत्ता वायत्यं तेण ठाविया। जीवाजीवाण दो रासी तेण वुत्तं न याणसि ॥२१॥ जिणसासणस्स अत्थं गंभीरं मुक्खसेहरा! अत्थि । जीवाजीव-नोजीव-रासित्तयमत्थि तं जाण ॥६२२॥ जीवो कीडाईओ अजीवो जाण लेट्ठमाईओ। नोजीवो नहमाइ इय निप्पुट्ठो कओ सो य॥६२३॥ रायसमक्खं वरिओ जयपडागं गओ य गुरु-समीवे। कहिओ सो वुत्तंतो गुरुणा भणियं कयं भव् ॥६२४ ॥

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