Book Title: Kalpantarvcahya
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Sharadaben Chimanbhai Educational Research Centre
View full book text
________________
१८
[ कल्पान्तर्वाच्यः
कुविंदकथा मह-अंतेउर-सरिसं कत्थ वि दिटुं तए सो भणइ। दोवइ-रूव-समाणं तिलोयमज्झमि नत्थिऽनं ।। १६६॥ इय वुत्तुं सोवगओ नियमित्त-सुरेण आणिया तेण। जा पत्थइ सा जंपइ छम्मासावही पडिक्खेह ।। १६७॥ छटुं छठें अंबिल-तवं कुणइ दोवई सइ तत्थ । नारय-मुहाओ नच्चा पंडव-जुय आगओ कण्हो ॥१६॥ काउं हयप्पयावं गिण्हित्ता दोवई समणुपत्तो। जं से य तत्थ गमणं तं अच्छेरं वियाणेह ॥ १६६॥ सिरिवीरवंदणत्थं समागया चंदसूरवरा देवा। मूलविमाण-निविट्ठा कोसंबीए तयं छटुं॥२००। हरिवंसकुलुप्पत्ती जंबूदीवंमि भारहे वासे। कोसंबीए सुमुहो निवो वसंते गयारूढो । २०१॥ गच्छइ जा ता पासइ वीर-कुविंदस्स भारियं पवरं । वणमालं नामेणं वक्खित्तो तीइ रूवेणं ॥२०२॥ मंती नाउं सव्वं परिवायाइ आणिया झत्ति। तीए सद्धिं राया विसय-सुहमणुहवइ णिच्चं ॥ २०३॥ वीर-कुविंदो गहिलो संजाओ तीइ विरह-दुक्खेणं । उवविठ्ठो य गवक्खे राया तीए जुओ इगया॥२०४॥ विज्जु-निवाओ जाओ तेसिं सीसंमि ते वि मरिऊणं। हरिवासे हरि-हरिणी संजाया सो कुविंदो य॥२०५॥ सज्जीभूओ सोउं तम्मरणं किंपि कट्ठमणुचरिउं । सोहम्मे किब्बिसिओ ओहीए पासए तेवि॥२०६॥ मारेउं असमत्थो चंपाए नरवई मयं दटुं। . आणेऊण समप्पइ ताण नराणं कुणइ राया॥२०७॥ फलजुय-मंसाहारो दायव्वो एसिमेव सिक्खित्ता। सो सट्ठाणं पत्तो संखित्ता आउ-तणुमाणं ॥ २० ॥ साहिय-वसुहो पालइ रज्जं तत्तो य तस्स कुलवंसो। जाओ तन्नामेणं सत्तममच्छेरयं एयं ॥२०६॥

Page Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132