Book Title: Kalpantarvcahya
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Sharadaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 62
________________ कल्पान्तर्वाच्यः ] महावीरेण प्रभावितः इन्द्रभूतिः सिंगेहिं वसहो सग्गि-गयं हंतुं समीहये । हत्थी पव्वय-पायाय दंतेहि जयए रया ॥ ५६५ ॥ ससओ केसरिक्खंधा केसरे लाउमीहए । मद्दिट्ठीए वि जं एसो सव्वण्णुत्तं पभासए ॥ ५६६ ॥ समीराभिमुहत्थेण दव्वग्गी जालिओमुणा । कवि-कच्छुला देहे सुहायालिंगिया नणु ॥ ५६७ ॥ सेस - सीस-मणि लाउं हत्थो सीओ (स्वीयः ) पसारिओ । सव्वण्णाडोवओऽणेण जमहं परिकोविओ ।। ५६८ ।। ताव गज्जइ खजोओ ताव गज्जइ चंदमा । उइए दिणेसरंमि न खज्जोओ न चंदमा ।। ५६६ ॥ लक्खणे मम दक्खत्तं साहिचे संहिया मई | तक्के कक्कसया निच्चं कत्थ सत्थे न मे समो ॥। ६०० ॥ sars वइत्ता णं सिग्घं वाय-पलिच्छया । छाय-पंच-सई-पट्टमाण-सार-गुणुक्करो ।। ६०१ ।। सरस्सईगलोद्दामाभरण ! वाइसत्तम ! तं वाइ- कंद-कुद्दाल ! जस विण्ण- सरोमणे ! ॥ ६०२ ॥ इच्चाइ बिरुदेहिं च धुव्वमाणो पए पए । वीरं दठ्ठे च सोवाण- ठिओ चिंतेइ विम्हिओ ॥। ६०३ ॥ किं चंदो ? नो कलंक -संजुओ दिणेसरो न सो जेण । अइतिक्ख-करो ता किं वासवो सो सहस्सक्खो ॥ ६०४ ॥ किं सोवण्णगिरी ! अइकढिणो सो जए समक्खाओ । हुं नायं वद्धमाणो सिद्धत्थ-सुओ तिजयपुज्जो ॥। ६०५ ॥ * आइचमिव दुप्पिक्खं समुद्दमिव दुत्तरं । बीयक्खरमिवाचच्चं दठ्ठे वीरं महोदयं ॥ ६०६ ॥ कहं मए महत्तं हा ! रक्खणीयं पुरज्जियं । पासायं कीलियाहेउं भेत्तुं को नाम वंछइ ॥ ६०७ ॥ हे इंदभूइ गोयम ! सागयमुत्ते जिणेण चिंतेइ । नामं पि मे वियाणइ अहवा को मं न याणेइ ।। ६०८ ।। [ ५३

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