Book Title: Kalpantarvcahya
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Sharadaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 60
________________ इन्द्रभूतिः इंदभूई अग्गिभूई वाउभूई य वत्तए । सोहम्मा वि य मंडिय - मोरीपुत्ते य अंकंपिए । ५६८ ॥ अयलभाया मेयजे पभासे य महायसे । एए इगार विप्पा य महाविज्जा विसारया ॥ ५६६ ॥ जीवे कम्मे तज्जीवे भूय-तारिसय बंध मुक्खे य । देवा नेरइया वा पुण्णे परलोय निव्वाणे ।। ५७० ।। पंचण्हं पंचसया अद्भुट्ठ-सया य हुंति दुह गणा । दुहं तु जुयलयाणं तिसओ तिसओ हवइ गच्छो ।। ५७१ ।। चोयालिस - सयाइं एवं अण्णे वि माहणा बहवो । उवज्झाय धणेसर सोमेसर सिवंकर नामा ।। ५७२ ।। कल्पान्तर्वाच्यः ] संकर ईसर गंगाधर लच्छीधर महीधर पहाणा । सीधर पंडिय गोवद्धणे य जणद्दण नरोत्तम महेस ।। ५७३ ॥ जयसम्म - भीमसम्मे नारायण नीलकंठ वेकुंठ । सिरिकण्णे हेमकण्णे इच्चाइ भूरि विप्पा य ।। ५७४ ॥ तं दिव्व-देवघोसं सोऊणं माहणा तहिं तुट्ठा । अहो जण्णिएण जट्टं देवा किर आगया इहयं ।। ५७५ ।। सोऊण कीरमाणिं महिमं देवेहिं जिणवरिंदस्स । अह एइ अहम्माणी अमरसिओ इंदभूइत्ति ।। ५७६ ॥ मुत्तूणं ममं लोगो किं धावइ एस तस्स पायमूलं । अण्णो वि जाणइ मए ठियंमि कत्तुच्चियं एयं ।। ५७७ ।। वंचिज व मुक्ख - जणो देवा कह णेण विम्हयं नीया । वंदंति संथुणंति य जेण सव्वण्णु- बुद्धीए ।। ५७८ ।। देवा भंता कहंतिऽच्छ पाणीयमिव वायसा । भेया कमलागरं मुत्तुं चंदणं मच्छिया जहा ।। ५७६ ॥ करहाइ व चारु-रुक्खे खीरण्णं सूयरा जहा । अक्कालोयं जहा धूया जगे मुत्तुं च जं तिहा ।। ५८० ॥ अहवा जारिसओ च्चिय सो नाणी तारिसा सुरा तेवि । अणुसरिसो संजोगो गाम-नडाणं च मुक्खाणं ।। ५८१ ।। [ ५१

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