Book Title: Kalpantarvcahya
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Sharadaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 28
________________ कल्पान्तर्वाच्यः । आश्चर्याणि ___ [१६ अहुणोववण्ण-चमरो नियसीसोवरि ठियं सुहम्मवइं। पासित्तागयकोवो चलिओ तं भेसणट्ठाए॥२१०॥ छउमत्थ-वीर-सरणं किच्चा गंतूण सोहम-सहाए। जा कुणइ हक्क-सई नायं सक्केण तं सव्वं ॥२११ ॥ सक्को मुंचइ वजं नट्ठो जिण-नमिय गओ नियं ठाणं । तत्थ गओ जं चमरो तं चुझं अट्ठमं भणियं ।। २१२॥ सिरि-उसहनाह एगो नवनवई सुया य अट्ठ पोत्ता य। पणधणुसयदेहधरा सिद्धा एगेण समएण ।। २१३ ।। एयप्पमाण-देहा सिझंति नेव एग-समएणं। अट्ठसयसिद्धमेयं तं पुण अच्छेरयं नवमं ।। २१४ ॥ असंजयाण पूया सुविहिजिणाणंतरं पि कइ कालं । हुंडावसप्पिणीए दोसाओ साहुउच्छेओ॥२१५॥ जाओ य थिविर-सद्दो धम्मं पुच्छंति मुद्धमइ-लोया। अत्त-परिण्णाओ ते तेसिं धम्मं परूविंति ॥२१६॥ तो ते गुरु-बुद्धीए असणाइ दिति तत्ति-राएणं। तेसिं असंजयाणं पूया अच्छेरयं दसमं ।। २१७॥ दससु वि वा सेसेवं दस दस अच्छेरयाणि जाणाहि । सवण्णु-भासियाइं तित्थोगालीइ भणियाई ।।२१८॥ नाम-गुत्तस्स कम्मस्स अक्खीणस्स त्ति...... अह भणइ नरवरिंदो ताय! इमीसित्तियाइ-परिसाए। अण्णोऽवि कोऽवि होही? भरहे वासंमि तित्थयरो॥२१६ ॥ तत्थ मरीई नामं आइ-परिव्वायगो उसभ-नत्तू। सज्झाय-ज्झाण-जुओ एगते झायइ महप्पा ।।२२०॥ तं दाएइ जिणंदो एवं नरिंदेण पुच्छिओ संतो। धम्मवरचक्कवट्टी अपच्छिमो वीर-नामुत्ति ।। २२१ ॥ आइगुरु-दसाराणं तिविठ्ठ-नामेण पोयणाहिवई। पियमित्त-चक्कवट्टी मूयाइ-विदेह-वासंमि ।। २२२ ॥

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