Book Title: Kalpantarvcahya
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Sharadaben Chimanbhai Educational Research Centre
View full book text
________________
४८] महावीस्य अभिग्रहः
[ कल्पान्तर्वाच्यः मज्झो य कालचक्कं कडखिल-उद्धारओ य उक्किट्ठो। इच्चाइ बहूवसग्गा सहिया जिणनाह-वीरेण ।। ५४३ ॥
___ इति उपसर्गाः.... तस्स णं भगवंतस्स अणुत्तरेणं नाणेणं अणुत्तरेणं दसणेणं अणुत्तरेणं चरित्तेणं अणुत्तरेणं आलएणं अणुत्तरेणं विहारेणं अणुत्तरेणं वीरियेणं अणुत्तरेणं अज्जवेणं, अणुत्तरेण मद्दवेणं, अणुत्तरेणं लाघवेणं, अणुत्तराए खंतीए अणुत्तराये मुत्तीए अणुत्तराए गुत्तीए अणुत्तराए तुट्ठीए अणुत्तरेणं सच्च-संजम तव-सुचरिय-सोवचिय-फल-निव्वाणमग्गेणं अप्पाणं भावमाणस्स दुवालस संवच्छराई विइक्कंताई तेरसमस्स संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स जे से गिम्हाणं दुच्चे मासे चउत्थे पक्खे वइसाहसुद्धे, तस्स णं वइसाहसुद्धस्स दसमी-पक्खेणं पाईण-गामिणीए छायाए पोरिसीए अभिनिवट्टाए पमाणपत्ताए सुव्वएणं दिवसेणं विजयेणं मुहुत्तेणं जंभियगामस्स नगरस्स बहिया उज्जुवालियाए नईए तीरे वेयावत्तस्स चेइयस्स अदूरसामंते सामागस्स गाहावइस्स कठ्ठ-करणंसि सालपायवस्स अहे गोदोहियाए उक्कडुअ-निसिज्जाए आयावणाए आयावेमाणस्स छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणं हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं झाणंतरियाए वट्टमाणस्स अणंते अणुत्तरे निव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवल-वर-नाण-दंसणे समुप्पण्णे। सूत्र १२०॥
नव किर चाउम्मासे छक्किर दो मासिए उवासी य। बारस य मासियाइं बावत्तरि अद्ध-मासाई। ५४४ ॥ एगं किर छम्मासं दो किर ते मासिए उवासी य। अड्डाइज्जाई दुवे दो चेव दिवड्ड-मासाई ।। ५४५।। भदं च महाभदं पडिमं तत्तो य सव्वओभदं । दो चत्तारि दसेव य दिवसे बासी य अणुबद्धं ॥ ५४६ ।। गोयरमभिग्गह-जुयं खमणं छमासियं च कासी य। पंच दिवसेहिं ऊणं अव्वहिओ वच्छ-नयरीए ।। ५४७॥ रायसुया सिरमुंडा दासत्तमुवागया रुयंती य। जंजीरिया य खुहिया दुपायंतर देहलीइ ठिया ।। ५४८ ॥

Page Navigation
1 ... 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132