Book Title: Kalpantarvcahya
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Sharadaben Chimanbhai Educational Research Centre
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४६ ]
उपसर्गाः
[ कल्पान्तर्वाच्यः पणसय-तावस-नेया अइकोही तावसो य धावंतो। रायकुमार-वहत्थं स-सत्थ-पहओ अही जाओ। ५१५॥ सो निग्गओ बिलाओ जा पासइ निच्चलं महावीरं। डसइ य पायंगुढे ता पासइ उज्जलं खीरं ।। ५१६।। ईहाऽपोह-करंतो जाईसरणेण जाणिओ भयवं। किच्चा अणसणमेसो सहसारे सुरवरो जाओ ।। ५१७॥ महुराए जिणदासो आभीर-विवाह-गोण-उववासो। भंडीर-मित्त-वच्चे भत्ते नागो हि आगमणं ।। ५१८॥ वीरवरस्स भगवओ नावारूढस्स कासि उवसगं। मिच्छदिट्ठी परद्धं कंबल-संबला समुत्तारे ॥ ५१६॥ जिणदास-सिढ़ि-गिहे गोणदुगं ढोइअं च गोवेणं । तं सिट्ठिसंगइए भद्दगयं जिमइ सिट्ठिसमं ।। ५२०॥ मित्तेण तयं वाहिय भंडग-जत्ताई छुहाइ संतत्तं। मुत्तुं तत्थ गओ सो तं सिट्ठी पिच्छइ जाव ।। ५२१ ।। मरणावत्थं पत्तं अणसण-पुव्वं विसुद्ध-भाव-जुयं । मरिठं कंबल-सबला वंतर-देवा तओ जाया ।। ५२२॥ गंगं समुत्तरंतं तिविठ्ठ-भव-हय-सीह-सुदाढ-सुरो। उवसग कुव्वंतं निवारिओ तेहिं देवेहिं ।। ५२३ ॥ गामाग संनिवेसे पूयं कासी य बिभेलय-जक्खो। साली-गाम-गयस्स य तिविठ्ठ-भवेऽवमाणिया य तया॥ ५२४ ॥ अंतपुरी वंतरिया जलभरिय-जडाहिं तावसी-रूवा। कुणइ सीओवसग्गं सहमाणस्सासि लोगो ही॥ ५२५ ॥ अनियय-वासं सिद्धत्थपुरं तिल थंभ पुच्छ निप्पत्ती। उप्पाडेइ अणज्जो गोसालो वास बहुलाए ।। ५२६ ।। पुढे निप्पजिस्सइ तेणुप्पाडिओ य वुट्टीए। गो-खुरक्खुत्तो जाओ नियई गहिया य तो तेणं ।। ५२७॥ दढ भूभी बहु मिच्छा पेढालुजाणमागओ भयवं। पोलासचेइयंमि ठिएगरायं महापडिमं ।। ५२८॥

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