Book Title: Jindas Suguni Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Navalmalji Surajmalji Dhoka

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Page 56
________________ 22 जीः सु० कहें तब कुण तजे । है सहू महारी वस्त ॥ निकलो महारा घर थकी ।खण्ड २ IN| जो चहावो परसस्त ॥ ५ ॥ ६ ॥ ढाल ९ नवमी ॥ सोमा सत्यवंती १ भलो ॥ यह०॥ इम सुणी सेठजी वाणी । ऊल्या आलास ताणीहो ॥ संपेह सुखदाइ ॥ ७ ॥ |॥ मोटा पडसालमें आया । हाक मारी सहू को बुलायाहो ॥ संघहै सुखदाइ ॥ १ ॥ णी सेठजी को सादो । शिव सहतज्यो परमादो हो ॥ संप ॥ एकेक ने ते जगावे। चलो 14 सेठ साहेब बुलावहो ॥ संप ॥ २ ॥ केइ ढक्या ने केइ नागा। निज वस्त्र लेड भागा हो IN ॥ संप ॥ केइ कडीया वालझ लीधा । सेठ पासे आया सीधाहो ॥ संप ॥ ३॥ सहु कर जोडी बतलावे । कांइ सेठजी हुकाम फरमावे हो ॥ संप ॥ सेठकहे सुणो भाइ । यालक्ष्मी कहेछे रीसाइ हो ॥ संप ॥ ४ ॥ घर संपत सहू महारी । इणने छोडी जावो तुम वारीहो ॥ संप । सहकहे छकन जो था । लोई काम हमारो हो ॥संप ॥ ५।। सेठ क। ह गहणा सारा । उतारी न्हाख दो याराहा ॥ संप ॥ इम सुण बचन तत्काल । सहू सहु। गहणा दाया डाल हो ॥ संप ॥ ६ ॥ दबादव दूर न्हारव्या । भागा टूटा का फिकर न २६ राख्या हो ॥ संप ॥ सब लक्ष्मी पर डाले। हाथ छातीये घाव घाले हो ॥ संप ॥७॥ घ| णो आणद मनमें माने । आज आपां हुवा भगवाने हो ॥ संप ॥ घणा दिनथी बजन |||

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