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जिमकरी । जिम सहू मानी वाय ॥ ८॥ सुणी वयण निज कंथ का । नारी मन फूलाय ॥ खण्ड ?
हिवे यह सुखाया किम हुवे । सुणो ते चित लगाय ॥ ९ ॥ ॥ ढालं १ पहिली ॥ ४५ मुक्ती को मार्ग दोही लो ॥ यह ॥ पुण्या संयोगे लक्ष्मी मिले । पापी जोगे विर
लाय ॥ पस्तायां कांइ थाय । समता थी सुख पाय । पुण्य ॥ ७ ॥ छेउं जीवा को जुदा होण की । चट पटी मन मांय ॥ लागी नींद आवे नहीं । दोडी तात ढिग आय ॥
पुण्य ॥१॥जोइ जावे धन ने वांटता । तिम २ खुशीघणा पाय॥ निशा पूरी इम ते करी । I तब अरुणोदय थाय ॥ पुण्य ॥ २ ॥ संकेत कर छही मिली । आया सोहन शाह पास ॥ कहे लावो पांती हमतणी । देरे होसे विणास ॥ पुण्य ॥३॥ हिशाब पण देखाडीये । कियो सम विभाग ॥ आप पास कित्तो राखीयो । किणपर तुम अनुराग ॥ ४५ पुण्य ॥ ४ ॥ सेठ कहे उतावल न कीजीये । आवा देवो जिनदास ॥ बरोबर पांती करी रखी । लीजो थें। तपास ॥ पुण्य ॥ ५॥ तीनू कहे ते आलसी । अने फिकर न काय ॥ लाजन आवे इत्तो दिन चड्यो । अभी मानी आयो नांय ॥ पुण्य ॥ ६ ॥ सेठ । कहे लावो जाय ने । तीनी बड २ ता जाय ॥ किमाड लागा देखी करी । मन रीस अती। लाय ॥ पुण्य ॥ ७॥ हलके बचन मारे हाक ते । पाछा न आयो जबाप ॥ देखो नींद