Book Title: Jinbhadragani Krut Dhyanshatak evam uski Haribhadriya Tika Ek Tulnatmak Adhyayan
Author(s): Priyashraddhanjanashreeji
Publisher: Priyashraddhanjanashreeji
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तृतीय अध्याय
1. आर्त्तध्यान का स्वरूप एवं लक्षण
2. आर्त्तध्यान के चार भेद
3. रौद्रध्यान का स्वरूप एवं लक्षण
4. रौद्रध्यान के चार भेद
5. धर्मध्यान का स्वरूप एवं लक्षण
6. धर्मध्यान के चार भेद
7. धर्मध्यान के विभिन्न द्वार
(क) भावनाद्वार
(ख) देशद्वार
कालद्वार
(घ) आसनद्वार
(ड.) आलंबनद्वार
(च) क्रमद्वार
(छ) ध्यातव्यद्वार ( धातृद्वार)
(ज) अनुप्रेक्षाद्वार
8. शुक्लध्यान का स्वरूप एवं लक्षण
9. शुक्लध्यान के स्तर एवं भेद
(क) ध्यातव्यद्वार
(ख) धातृद्वार
(ग) अनुप्रेक्षाद्वार
(घ) लेश्याद्वार
(ड.) लिंगद्वार
(च) आलंबनद्वार
(छ) क्रमद्वार
10. आर्त्तध्यान के चिन्तन के विषय
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98-253
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