Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala
View full book text
________________ CARA पुरीनगाँ कपिलस्य जयन्तीप्रकरणइतिः / भ्यासः। // 202 // ANSAXSANSAR केवलज्ञानसंपदा प्राणिना सविशेषसन्तोषपोषपियूषचुलुकपानतः शोषमानीयते यदि परं / तथाहि आसि पुरा कोसम्बी नपरी सुररायपुरवरी रम्मा। तीए रायपुरोहियजसोयमजासुओ कविलो // 1 // लहुयस्सवि तस्स पिया, पत्तो पंचत्तमह नियो अन्न / संतिकिरियासु कुसलं पुरोहियं ठावए विप्पं // 2 // तं अन्नदिणे पिच्छइ रिद्धीए रायमग्गमोइन / बहुसेवगसंकिन्नं पसरियसोया जसोया सा // 3 // रोयइ करूणसरेणं मुसाहलनिम्मलाणि अमणि / मुयमाणी कविलेणं किं रोयसि ? पुच्छिया तत्तो // 4 // सा जम्पइ एत्थ पुरा पुरोहिओ आसि वच्छ ! तुह जणओ / सो एवं रिद्धीए गच्छन्तो रायमग्गेण // 5 // एएण कारणेणं पुत्ता रोएमि मन्दपुन्नाऽहं / पुच्छइ कविलो रबा जणयपयं कहं नो दिन्नं मे 1 // 6 // जणणीवि भणइ पुत्तय अपढियवेपत्तणे ण कयकरणो / तं सि किरियासु तेणं जणयपयं तुह कहं होइ ? // 7 // पिउपयपइट्ठकब्जे सजोऽहं माइ वेयअज्झयणे / इय कविलेणं भणिए जम्पइ जणणीवि अइहिट्ठा // 8 // जइ एवं तो पुत्तय तह पिउमित्तोऽस्थि इन्ददत्तोत्ति / अज्ज्ञावजो पुरीए सावत्थीए तहिं गच्छ // 9 // एवं जणणीवोत्तो कविलो सावत्थिपुरवरि पत्तो। उवज्झायपायपणओ विणएणं विनवइ तत्तो // 10 // मज्म जसोयाजणणी कोसम्बीए तओ अहं पत्तो। वेयज्मयणमणेणं कप्पतरूणं व तुम्हन्ते // 11 // विजागहणं सम्मं निच्चिन्ते भोयणम्मि पज्जत्ते / होह तओ हि सिद्धि गन्तूणऽवरोहहस्सामि // 12 // परिभाविऊण एवं उजाओ सिट्ठिगेहसंपत्तो। कविलेण समं तो सो तोसेणं भणह तय. हुत्तं / / 13 // अज्झावयमिस्साणं सागयमिह होउ अन्ज सुविहाणं / आइसह सुहनिसमा सुपसन्ना कजमम्हाणं // 14 // तो तेण सुहारूदणा सागयवयणेण सो उवज्झाओ। सवियासनयणकुवलयजुअलो आइसइ सेठिस्स // 15 // X // 202 //

Page Navigation
1 ... 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338