Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala
View full book text
________________ पुष्पसाल जयन्तीप्रकरणवृत्तिः / // 298 // ॐA4%ACE विनत्तिं / जह इत्थ पुष्फसालो एगो गन्धविओ अस्थि // 15 // रायपहे सो दिट्टो गायन्तो तुम्बरो व सो गीयं / तेण || दास्युक्तसवणामएणं अक्खित्तो पुरजणो सम्बो // 16 // गीएण तस्स सामिणि ! सरसेणं सवणगोयरगएणं / तहाछुहादुहाइवि पसुयाणवि दरओ जन्ति // 17 // अहलच्चिय ते कन्ना अमियरसासारसारगीएण | जेहि न पत्तं सुक्खं देवाणवि दुल्लहं | गीतश्रव. देवि ! // 18 // महुरदक्खापाणं तत्तो विय होइ सकरापाणं / तत्तो विय अमियरसो तओवि मन्नेमि तग्गीयं // 19 // ता रणाभिलाषो सामिणि ! कोवभरं ममोवरि मा करेहि जेणाहं / गन्धवियगीएणं अञ्चन्तपरवसीभूया // 20 // इयविन्नत्ते तीए भद्दा अक्खि. भद्रायाः। तमाणसा जाया। उम्माहमुवहन्ती गन्धवियगीयसवणम्मि // 21 // जम्पइ दासीहुत्तं हले कहं ? पुप्फसालगीयमहं / अविगाणेण मुणिस्सं कनाण रसायणमणनं // 22 // दासी भणेइ सामिणि! पउत्थवइयाण सीलवंताण / देवायणमि पूयामिसेण जुत्तं पहिं गमणं // 23 // ता देवि अहं कम्मिवि महूसवे देवमन्दिरे कम्मि। गीयावसरं नाउं जाणाविस्सामि सिग्धयरं // 24 // अह अन्नदिणे जत्ता जाया जक्खस्स मन्दिरवरम्मि / जाणावियाए तीए गंतुं तो उस्सुया भद्दा // 25 // न्हाया कयवलिकम्मा पुप्फसणाहपरियरसमग्गा / जा गच्छइ जक्खगिहे उवसन्तं ताव पिच्छणयं // 26 // तो मदाए भणिया दासी गन्धव्वियंपि दंसेहि / सो य पसुत्तो देउलच्छायाए दंसिओ तीए // 27 // परिगलियलालवयणतरालअइविसमलम्बदन्तुट्ठो / कन्जलसामलदेहो दिट्ठो गन्धविओ तीए // 28 // दगुण पुप्फसालं विसण्ठुलं कुच्छणिजसवंगं / उच्छलियदुगञ्छाए खित्तं धरणीए निट्ठवणं // 29 // दिलै कुसीलवेहिं तीए गेहं गयाए सो हसिओ / किं ? तुज्झ जीविएणं गीएणं वापि महुरेणं // 30 // धणसत्थवाहपत्ती सुयकित्ती तुज्झ गीयसवणत्थं / रूवेण मयणघरणी समागया आसि रहसेण // 31 / / सुत्तस्स मा 298 // X

Page Navigation
1 ... 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338