Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala

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Page 327
________________ 4 6i जयन्ती प्रकरणवृतिः / स्वपुत्रादिभिररण्ये त्यतो दुःखभागी जातः। // 314 // CSCROCE% जीवति // 12 // इय चिन्तिऊण (झत्ति) मन्तीहिं रायनन्दणो भणिओ / जणयं विसयपसत्तं उझिय पडिवज नियरजं // 13 // जेण तुहपायपायवच्छायाए विलियसबसन्तावा / सहलं माणुसजम्मं तुह पसाएणिमं कुणिमो // 14 // रायसुएणवि एवं पडिव तयणु मन्तिबुद्धीए / पियरं मइरामत्तं सुत्तं जणणीए सह नाउं // 15 // चेलञ्चलम्मि लेहं बन्धेचाऽरनमज्झयारम्मि / पच्चइयमणुस्सेहिं मिल्हावइ झत्ति रयणीए // 16 // मजप्पमायनिहाविगमे भूमीगयं अरनम्मि | पिच्छन्तो अप्पाणं बहुसावयतरूवराइन्ने // 17 // चिन्तइ अवन्तिनाहो किं एवं सुविणयंति ? तरलच्छो / वत्थश्चलंमि पिच्छइ लेहं गंण्ठिद्वियं तत्तो // 18 // अवगच्छइ परमत्थं वाईय लेहं जहा अमञ्चेहिं / रज्जे सुयं दुवित्ता सकलत्तोऽहं इहं चत्तो // 19 // कुद्धो अवन्तिनाहो उवरिं मन्तीण चिन्तए एवं / सुपसायस्सवि मज्झं कह एए विहडिया पावा ? / / 20 // अविणयफलमेएसिं मन्तीणं ताणं दंसयिस्सामि / इय चिन्तिऊण दइया उढविया कहइ वुत्तन्तं // 21 // तो तीए सो भणिओ पिययम मा कुणसु सम्पयं को / विहिणो वसेण पुरिसो पावइ बसणं जइवि सुहडो // 22 // उक्तं च-समाहतं यस्य करैः विसर्पिभिः तमो दिगन्तेष्वपि नावतिष्ठते / स एव भानुः तमसा विभूयते स्पृशन्ति कं कालवशेन नापदः ? // 23 / / चईऊण तह विसायं वच्चसु मज्झ भायपासम्मि / जेण सवलं दाउं भुजावइ निययरजसिरिं // 24 // यतःअसहायाण न सिद्धी सुहवि माणुनयाण पुरिसाण / अग्गीवि तेयरासी पवणेण विणा न पजलइ // 25 // इय तीए सो वुत्तो वच्चइ नयरीए तामलित्तीए / कइवयदिणेहिं बाहिं बन्धुमई भणइ तो एवं // 25/2 // होऊण महाराओ एगागी चेव कह इह पुरीए / पविससि ? रिद्धिविहिणो दीणो खीणो परिस्संतो // 26 // ता सामिय! खमियचं इहडिओ चेव // 314 // CECT

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