Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala
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________________ भी तप विषयक बयन्तीप्रकरणइतिः / देवानन्दा दृष्टान्तः। // 318 // AHARASHTRA एणं कुंभुन्भवमहरिसिसरिसेण लीलाए // 9 // इच्चाइ विविहसिक्खा सुहारसासारसित्तसवंगा / संवेगमुवहन्ती सा दिया चन्दणजाए // 10 // परिपालइ चारित्तं संसारसमुद्दतारणवहितं / धम्मज्झाणिक्करया महासई सा तह जयन्ती // 11 // निस्सेसकम्महरणं देवाणन्दा जहा तवच्चरणं / अकरिसुं तहा एसा कुणइ जयन्तीवि पइदियह // 12 // का पुण देवाणंदा ? तवम्मि जा वहइ इह उदाहरणं / भन्नइ भरहे माहणकुण्डगामपुरं आसि // 13 // तत्थासि उसभदत्तो महिडिओ पासनाहतित्थम्मि / सड्को माहणवुड्डो जिणमयसन्नाणरयणड्डो // 14 // गुणमणिरोहणधरणी देवाणन्दा य तस्स वरघरिणी / दुन्हंपि ताण जिमवरधम्मे सत्ताण सुहियाण // 15 // पडिबोहकरणेणं वीरजिणिन्दो सुरेहिं परियरिओ / अह अन्नया कयाई बहिरूजाणे समोसरिओ / / 16 / / नाऊण जिणागमणं भत्तिभरूभिन्नबहलपुलयंगो / सबिड्डीए गच्छह वन्दणहेर्ड उसमदत्तो // 17 // अहरमणियरहेणं सबालंकारभूसियसरीरा / गच्छइ परियणसहिया देवाणन्दावि साणन्दा // 18 // दट्ठणं ओसरणं ओयरियं रहवराओ तो दोचि / पंचविहाभिगमेणं पविसेउं तत्थ जिणनाहं / / 19 // वन्दित्ता जहट्ठाणं दोवि निसन्नाई अणिमिसच्छाई / वीरजिणं पिच्छन्ती देवाणन्दा अइसिणेहा // 20 // आगइपन्हा जाया सदेवमणुयासुररायपरिसाए / तत्तो गोयमसामी वीरजिणं पुच्छए नमिउं // 21 // भयवं तुम्हाणुवरि होइ सिणेहो समत्थभवाणं / देवाणन्दाए पुणो केण निमित्तेण अइनेहो ? / / 22 // तो कहा जिणो गोयम ! वसिओ पुष्फोत्तराओ ओइन्ना / बायासी दिवसाई अहं हि एयाए कुच्छीए // 23 // तेणं देवाणन्दा ममोवरिं गुरुसिणेहपडिबद्धा। आगयपन्हा जाया गोयम ! जणणित्ति जाणाहिं // 24 // सिरिवीरजिणन्देणं एवं कहियम्मि अन्तरंगम्मि / पडिबन्धकारणमिय सोचा देवाणन्दा महाणन्दा // 25 // // 318 //

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