Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala
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________________ // 319 // चारित्रं मुक्ति ARCHIKARANAGACA-CA संविग्गा भवभवणुविग्गा विनवइ विणयपणयंगी। देवाहिदेव ! दिजउ पवजा मज्झ सिद्धिसही // 26 // तो भयवया जयन्ती | विना तीए दिक्खा समत्थजियरक्खा / संसारतावहरणे दक्खा परिपक्करसदक्खा // 27 / / तो सिक्खं काऊणं समप्पिया! चन्दणाय अजाए। पालइ संजमभारं देवाणन्दा निरइयारा // 28 // पञ्चसमिया तिगुत्ता पश्चिदियनिग्गहम्मि आसत्ता। प्रपाल्य अइदुकरं कुणन्ती बज्झन्भिन्तरतवचरणं // 29 // देवाणवि आणन्दं दिन्ती तवचरणकरणजोगेण / पयडियजहत्थनामा देवाणन्दा हवइ समणी // 30 // परिवड्डमाणसुक्कज्झाणानलदडकम्मवणगहणा / उप्पन्नविमलकेवलनाणा सिद्धा सुहसमिद्धा गता। // 31 // एवं तवचरणरया मायामयमोहजोहनिम्महणी / नाणाइरयणखाणी महासई मियमहुरवाणी // 32 // सावि जयन्ती पालइ संजमलच्छि विसुद्धपरिणामा / पयडियजियाणुकम्पा सुरगिरिचूलब निकम्पा // 33 // सव्वत्थ खायकित्ती पयदिणपसरन्तघोरतवसत्ती। अइसयपसनमुत्ती विणयाइगुणजणासत्ती // 34 // झाणज्झयणपसत्ता अपमत्ता कोहलोहपरिचत्ता / / गीयत्था संविग्गा गुरुकुलवासेसु अणुबिगा // 35 // आरूहियखवगसेणी सिवगहपासायरोहनिस्सेणी / उप्पन्नविमलनाणा | सिद्धा बुद्धा जयन्तीवि // 36 // तथा च सूत्रं एवं विणिच्छियट्ठा पहतुहाभिवन्दिउं वीरं / सामन्नमसामन्नं देवाणन्द व्व काऊणं // 26 // निदलियघाइकम्मा केवलमुप्पाडिऊण य जयन्ती। भवघाइकम्महरणा सिवमयलमणुत्तरे पत्ता // 27 // भगवदयारसमसया बियउद्देसाउ पगरणं एयं / सपरोभयसरणत्थं उद्धरियं माणसूरिहिं // 28 // एवं पूर्वोक्तप्रश्नोत्तरप्रदानेन विनिश्चितार्था-निर्णितार्था, अत एव प्रहृष्टतुष्टाऽभिवन्ध वीरं श्रीवर्धमानखामिनं, श्रामण्यं-3॥ 319 //

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