Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala
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________________ बयन्तीप्रकरणइतिः / // 316 // AA कत्थ के सरणं / जामि अहं सामि कह ? तए विणा निव्वुया होमि // 43 // अविय-भत्ता सुक्खाणखणी भत्ता |नरसुन्दरचिन्तामणी महिलियाणं / भत्ता जीवियनाहो तबिरहे ताण बहुदाहो // 44 // भत्तारदेवयाओ नारीओ हुन्ति जीवलोगम्मि / राज्ञा सव्वत्थ संकणिज्जा तस्विरहे हुन्ति जं ताओ // 45 // इय बुद्धीए तं आणिोऽसि, जह तह पुणोवि रजसिरिं / संपाडिस्सइ8 वैराग्येन माया जाया जा एरिसावत्था ? // 46 // इय विलवन्ती वुत्ता बन्धुमई कोमलवयणेहिं / भद्दे ! मुञ्चसु सोगं वियाणमाणा दीक्षा भवसरूवं // 47 // एयम्मि भवे चउगइरूवे जीवाण कम्मवसगाण | जम्ममरणाण दुक्खं गरूयाणवि होइ किं चोजं // 48 // गृहीता। | जेणं चिय संसारो अणेगदुक्खाण एस भण्डारी / तेणं चिय सप्पुरिसा लग्गा परलोयमग्गम्भि / / 49 // भवसायरम्मि जीवा संजोगविओगबहलकल्लोले / मोहावत्तरउद्दे लहन्ति दुक्खाण रिच्छोलिं // 50 // वाहिजराखरदाढो वसणसयावायतिक्खमहतालो / जीवमयघायणरओ मरणमइन्दो भवारने // 51 // भमइ सया सच्छन्दं देविन्दनरवरिन्ददाणविन्देहिं / सक्को न निवारेउं ता सोयं बहिणि ! तं चयसु // 52 // अन्नं च-धारिजइ इन्तो सायरोवि कल्लोलभिन्नकुलसेलो / नहु अन्नजम्मनिम्मियसुहासुहो दिवपरिणामो // 53 // सोयन्धयारससकरसगोत्तवयणेहिं एवमाईहिं / अणुसासियावि पइणो चिया पविट्ठा मया झत्ति // 54 // नरसुन्दरोवि राया तहाविहं मोहविलसियं दटुं / निन्दइ भवस्सरूवं संवेगपरवसो धणियं // 55 // खणदिट्ठनट्ठविहवे खणपरियदृन्तविविहसुहदुक्खे / खणसंजोगवियोगे संसारे कह सुहं होइ ? // 56 // धी संसारसहावो जंमि उ नेहाणुरायपडिबद्धा / जे पुबन्हे दिवा अवरन्हे ते न दीसन्ति // 57 // विसयविसमुच्छिएसुं जीवेसुं सायरि व अणवरयं / PJ पडिकूलचारिणीओ महावया हुन्ति किं चोजं? // 58 // तिच्चिय पुरिसा धना कयपुन्ना जे जिइन्दिया हुन्ति / वज्झन्ति %E3NAK

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