Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala

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Page 328
________________ 315 // तं विलम्बेहिं / मम भाया बलकलिओ पच्चोलिं जाव तुह एइ // 27 // इय मणि बन्धुमई बच्चइ नरसुन्दरस्स पासंमि / | रथचक्रादेवउलमण्डवम्मि अवन्तिनाहोवि आसीणो // 28 // विहिणो वसेण चिन्तइ एही नरसुन्दरो समिद्धीए / होही महई वेला भन्मृतोऽवअहं तु धणिय छुहादुहिओ // 29 // एयमिह पत्तकालं खित्ते पविसित्तु ताव गेन्हामि / चिभिडमेगं इय चिन्तिऊण अहन्तीनाथो पहेण जा तत्थ // 30 // पविसइ तो सो दिवो रक्खगपुरिसेण कोववसगेण | पइदिवसमेस चोरेइ महकत्थे अज्ज लद्धोत्ति बन्धुमति॥ 31 // खायरलउडेण हओ तह जह पडिओ पहंमि निचिट्ठो। बन्धुमईवि य पत्ता रायउलं अचिरकालेण // 32 // रपि तेन अइसंभमेण पुट्ठा रना एगागिणी कहं पत्ता ? / कहियं सवं तीए चिट्ठइ भत्तावि देवउले // 33 // पडिहारो आणत्तो रना | जह कुणसु सवसामग्गिं / भइणीवइणो जामो पच्चोलि जेण अइतुरियं // 34 // चउरंगबलसमग्गो राया जा एइ तत्थ सती देवउले / दिट्ठो अवन्तिनाहो न तत्थ भइणीवई तेण // 35 // इय राया जाणावइ पुरिसं पट्ठविय बन्धुमइभइणिं / सा य जाता। ससोगा पत्ता पासइ दइयं रओवसमे // 36 // रहचक्कचम्पणेणं छिनियसिरकमलमह महामोहं / पत्ता विमुक्कवाहं धसत्ति धरणियले पडिया // 37 // नरसुन्दरोवि राया सम्पत्तो तत्थ सीयलजलेण / पवणेण य आसासइ बन्धुमई तयणु आसत्था // 38 // विलवह करूणसरेणं हा विहि ! कह ? देसि वसणदन्दोलिं / रजहरणेण अहं नहु तुट्ठोऽरनवासेण // 39 // हा | पाणनाह! मह नेहपासवर्ण रजलच्छीवि / हारविया संपइ मं छडिविय कत्थ पत्तोसि ? // 40 // जं इत्थ तुमं मोत्तुं | नयरीमज्झम्मि बन्धवसमीवे / एगागिणी गयाऽहं खमाहि तं देसु पडिवयणं // 41 // हा हयविहि ! तुज्झ मए अवरद्धं किमिह ? जेण अपसत्रो / विहिओ अवन्तिनाहो पडिवयणपरम्मुहीभूओ // 42 // तुह विरहदावतविया पिययम ! गच्छामि ASARKARSA

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