Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala

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Page 326
________________ +R + // 313 // चरणारविन्दस्पर्शसुखदोहदापूर्ती सत्यामशोकोपि दूरतः प्रसृमरपरिमलात् न प्राप्नोति सुमनोविकाशसंपदं / अन्यच्च-सरस- स्पर्शेन्द्रिय नवसल्लकीवनदलकवललोलमानसो हस्ती स्वैरं विन्ध्यारण्ये विचरन् यथेन परिकरितः करिणीस्पर्शश्रद्धो निगृहीतः क्षुत्त- लोलुपताडादिदुःखातः द्रढवन्धपारवश्यांकुशघातपरंपरां लभते / परदाररतः प्राणी त्वग्भेदछेदखेदधनहानीः आसादयति / स्पष्टस्पर्श यामवन्तिव्यसनाम्बुधौ मनः स्वकलत्रेऽप्यतिमात्रं मृदुमात्रासंगरसिकतैकाग्रः राज्यभ्रंशे म्रियते अवन्तीनाथो यथा नृपतिः / तथाहि- नाथोअस्थित्थ भरहवासे मज्झिमखण्डम्मि पुरवरी पयडी। उन्जेणीनामेण या सक्कअमरावईरम्मा // 1 // तत्थासी महाराया दाहरणम्। सहस्सनयणु व पयडमाहप्पो / नामेण अवन्तीनाहो रइनाहो रूवलच्छीए // 2 // पालइ निययं रजं नीईए जणियजणमणाणन्दो / सत्तंगपि सुबद्धं सुबुद्धिपमुहेहिं मन्तीहिं // 3 // अह आसि तम्मि समए रयणायरतीरसंडिया नयरी / नामेण तामलिती नजइ अयलाउरीरिद्धी // 4 // नरसुन्दरो नरिन्दो रिद्धीए धणयजक्खराउ छ / पणयजणपूरियासो तत्थासी गुणगणावासो // 5 // होत्था तस्स य भइणी बंधुमई रूवसालिणी सिद्धा / मयणनिवरायहाणी सुहारसुल्लाससमवाणी // 6 // मगन्तेणं अच्चायरेण निचं अवन्तिनाहेण / लद्धणं परिणीया सा अच्चणुरत्तेण रिद्धीए // 7 // तो तीए फरिसणिन्दियसुहसायरमग्गमाणसो एसो। कुरूदेसपयाचिन्तं अत्थाणत्थो कुणइ नेव // 8 // सीमालनरवरेहिं देसो लूडिजए तओ | निच्चं / नयरं चोरेहिं पुणो मुसिजए लद्धपसरेहिं // 9 // असमञ्जसप्पवित्तिं दट्ठणं मन्तीणं सुमन्तीहिं / रजविणासे है| अम्हं अयसो निस्संसय होही // 10 // तम्हा नरिन्दपुत्तं रखे द्वविऊण रजनीईए। वेरीण निग्गहेणं तिवग्गसंसाहणं कुणिमो // 11 // यत उक्तं-यस्य त्रिवर्गशून्यस्य दिनान्यायान्ति यान्ति च / स लोहकारभत्रैव श्वसनपि न IM313 // NAGARLS %*646464

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