Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala
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________________ 4% // 299 // 4 // तुझ रूवे जुगुच्छणिजम्मि दिट्ठमित्तम्मि / निट्ठीवणेण तीए अम्ह समक्खं कयाऽवन्ना // 32 // आरुद्वेणं तेणं तीए चरियं भद्राया पउत्थवइयाए / धणसत्यवाहपेमाणुबन्धरमणीयमह रइयं // 33 / / जह एस सत्थवाहो पत्तो देसन्तरम्मि पइदियहं / धणलामेवि अकालमहन्ते सुमरइ भदं नियपरिणिं // 34 // एसा विउला लच्छी तुच्छच्चिय पणइणीए भद्दाए / विरहहयासणताये कह सन्तोस मरणे कुणउ मम // 35 // चिरविरहदुन्बलंगी मह संगमजलहरेण लइय व / पुलयंकुरेहिं कइया? सवंगसुन्दरा होही // 36 // कुगतिः पेमाणुबन्धदुद्धोदहिस्स लहरीहिं हसियकडक्खेहिं / विरहग्गीतावहरणी कइया मइ वल्लहा होही ? // 37 // एवमणेगमणो- संसाररहरहेहि निच्चप्पयाणयविहीए / एइ धणसत्यवाहो भद्दासंगमकओम्माहो // 38 // न रूई जायइ कहमवि तस्साहारेसु नन्न- का परिभ्रमणं दारेसु / पेमाणुबन्धवसओ हियए मदं वहन्तस्स // 39 // एवं उम्माहेणं इन्तो सो सम्पयं पहायम्भि / घरदारे सम्पत्तो खेमेणं सत्यवाहोति // 40 // इय चरियं गुम्फेउं पच्छिमरयणीए तीए आवासे / गंतूण पुप्फसालो गायइ किन्नरसरेणेसो // 41 // गीएण तेण महुरस्सरेण सरसेण अभियसरिसेणं / भद्दा जग्गइ चिन्ता किमेस सग्गाओ उवइनो ? // 42 / धणसत्यवाहनामे कनपविट्ठमि हिययइट्ठम्मि / मह पाणनाहचरियं गायइ एसो महच्छरियं // 43 / / एवं साणन्दाए भद्दाए पाणनाहचरियम्मि / गाइजन्ते महुरं निसुयं जह एस मज्झ पिओ / / 44 // घरदारे सम्पत्तो तत्तो उम्माहपरवमा एसा / उन्मुट्ठिऊण मुबह अप्पाणं वासमवणाओ // 45 // अइदूराओ पडिया दारूणसवंगभंगदुःखेहि / अट्टज्झाषण मया भमडइ संसारकन्तारे // 46 // सोइन्दियवसगाणं जीवाणं दुट्ठकम्मबद्धाण / भवसायरम्मि दुल्लहो धम्मो जिणरायपन्नत्तो // 47 // नाऊणेवं तम्हा अणवस्य सुगुरुपायमूलंमि / जिणवयणं सोयई जं कन्नरसायणं परमं / / 48 // जेण निसुएण जीवा IP // 299 / / %atARCHASE

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