Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala
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________________ C भी कपटं जयन्ती प्रकरणइतिः / ज्ञात्वा दीक्षा लात्वा च स्वर्लोकं गता धारिणी // 308 // वाणिजेण धणोवलम्मेण / मोगुवभोगपराई चिट्ठन्ति सुहेण जा ताव // 127 // एगम्मि दिणे देउलमहत्थपिच्छणय पिच्छणनिमित्तं / जन्तंमि तंमि वणिए भणइ इमं धारिणी देवी // 128 // मा वच्चसु नाह तुम तुहविरहे जेण ठाउमसमत्था / 4. एकंपि खणं कहमवि हसियं तो तेण वणिएण // 130 // तो पुच्छह सा देवी साहसु तं सामि केण कजेण / हसियंति तेण | कहिए नियचरिए मारिपजन्ते // 131 / / तो विरत्तचित्ता देवी चिन्तेह पावकम्मेणं / एएण महापावं ममाणुरत्तेण विहियति / / 132 // नीहरिऊण घराओ वच्चइ सा साहुणीण पासंमि / सुणिऊण धम्मकहं पडिबुद्धा लेइ पवजं / / 133 // काऊण तवचरणं सम्मं परिपालिऊण सामनं / अणसणविहिणा मरिउं सम्पत्ता देवलोगम्मि // 134 / सोवि महुरावणिओ तविरहे अट्टराइज्झाणेहिं / नरए पावभरेणं चक्खुन्दियलम्पडो जाइ / / 135 / / विहडियफलए मणुयत्तणमि पत्तेवि जाणवत्तम्मि / | चक्खिब्दियलोहेणं बुडन्ति भवनवे जीवा // 136 // ।चक्षुरिन्द्रियकथा समाप्ता। ___ तथा कर्पूरादिद्रव्यसौरभाद् घाणलोलुपतया नस्तया नस्तिताः प्राणिनः पुंगवा अपि दुःखभरोद्वहनैकधुरन्धरा एव भवन्ति / फणीव ना कुलीनो यः पुष्पादिघ्राणलम्पटः। निरूद्धचरणाचारो दुःखित स्यादसो सदा // 1 // दिव्यसौगंध्यलोभान्धो मिल त्पद्मदलैः यथा / प्रदोषे बध्यते गो जीवो कर्ममलैः तथा // 2 // किंच-गन्धप्पिओ कुमारो घाणिन्दियलम्पडत्तकलिसेण / गुणमणिरोहणसरिसो भंगप्पा सबहा जाओ // तहाहि आसि पुरा रयणपुरं नयरं पुरहूयपुरवरसगोत्तं / लच्छीहरोत्ति राया तत्थ य सुररायसुन्दरो // 1 // सोहग्गरयणक्खाणी KASARSHACK चक्षुलोको IRCRECIROIDS नरकं गतश्च / // 308 //

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