Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala
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________________ / // 28 // एयाए नपरीय TI राशी पुडियाओ। एयाओ कस्स भी जयन्तीप्रकरणवृतिः / // 302 // अप्पेमो // 31 // एवं जनार्दनस्य लेखाद् भग्नहृदयो भूत्वा. 4 आइउदारो // 28 // एयाए नपरीए अमो लायमपुनसम्पुयो / अइमारललियबाणी नस्थि वियत्रो घणडो य // 29 // अह अनदिणे तेणं ताओ पुट्ठाओ गन्धपुडियाओ। एयाओ कस्स करे मपप्पियाओ समप्पेह // 30 // ताहिंपि तओ कहियं एयाओ तुम्ह गन्धपुडियाओ। देवीए धारिणीए हत्थे नबस्स अप्पेमो // 31 // एवं नायसरूवो दिवसे एगम्मि गन्धपुडियाए / मज्झम्मि खिवइ लेहं नेहं जाणाविउं मुद्धो // 32 // तद्यथा-काले प्रसुप्तस्य जनार्दनस्य मेघान्धकारासु च शर्बरीषु / मिथ्या न जल्पामि विशालनेत्रे ! ते प्रत्यया ये प्रथमाक्षरेषु // 33 // तो दासीए अप्पड़ सावि य गन्तूण तयणु देवीए / देवीवि जाव जोयइ तम्मज्झे पिच्छए लेहं // 34 // एगन्ते गन्तूणं वायइ देवीवि तो विचिन्तेइ / धीधी कामन्धयाण जीवाणमगोयरे गिद्धी // 35 // पडिबोहेमि इमंपि य पडिलेहेण कडक्खरेणाऽहं / जेणेसो पडिबुद्धो नहु लिप्पइ पावपंकेण // 36 // इय चिन्तिऊण देवी अप्पर पडिलेहगम्भिणं पुडियं / दासीए इय भणिउ महुगन्धाऽसुन्दरा अज्ज // 37 / सावि य गच्छइ तुरियं तस्स समीवम्मि उस्सुयमणस्स / जम्पइ अज सुअन्धा कहं ? न गन्धा भणइ देवी / / 38 // तेणवि भणियं एवं अनगिन्हाहि गन्धपुडियंति / तं घेत्तुणं हिट्ठा एसा दासी पडिनियत्ता / / 39 // वणियो महेसरो सो पुडियामज्झम्मि धारिणीलेहं / दट्टणं परितुट्ठो वायइ उप्फुल्लमुहनयणो // 40 // तद्यथा-नेहलोके सुख किश्चित् छादितस्यांहसा भृशम् / मितं च जीवितं नृणां तेन धर्मे मतिं कुरु // 41 // तो अवगयलेहत्थो कामविहत्थो | निरत्थयारम्भो / अट्टज्माणपयट्टो हट्टवावार पमुत्तूण // 42 // देसन्तरम्मि गच्छइ कामगहगहियमाणसो कहवि / कत्थवि रई न पावइ झायन्तो धारिणि देवि // 43 // एगम्मि पुरे पिच्छइ विज्झामठसंद्वियं उवज्झायं / चट्ठाणमुवइसन्तं परमत्थं देशान्तरं गतो महेश्वरः। P // 302 //

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