Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala

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Page 316
________________ 303 // कथा BHARASHRECrotest रायनीईयं // 44 // तद्यथा-न शक्यं त्वरमाणेन प्राप्तुमर्थान् सुदुर्लभान् / भायां च रूपसम्पचा शत्रणां च पराजयम् हारप्रभा॥४५॥ सुगुरूपदिष्ट जिनवरवचनश्रवणेन शुद्धतरबुद्धिः। भेष्ठिसुतो जिनदत्तो दृष्टान्तः श्रावकश्चात्र // 46 // तथाहि-आसि प्राप्ति वसन्तमि पुरे सेद्विनामेण उसमदत्तो ति / तप्पुत्तो जिणदत्तो रत्तो भत्तो जिणमयंमि // 47 // वित्तॄण महग्याई कयाण विषया गाइं विचिचरूवाई। वाणिजेणं संपत्तो महल्लसत्येण चंपाए // 48 // तत्थऽथि सत्थवाहो धणोति नामेण धणसमिद्धो / जिनदत्तधणयसमाणो नायरजणम्मि कयरायसम्माणो // 49 // तेण समं सम्पन्ना मित्ती जिणदत्तसिठ्ठीपुत्तस्स / सरिसगुणाणं जम्हा पाएणं संगय होई // 50 // तस्स य धणस्स धूया सवंगोवंगसुन्दरा अस्थि / मयणनिवरायहाणी अभग्गसोहग्गसवाणी // 51 // श्रुता तेन। नामेणं हारपहा कमा तिसमुद्दसारभूया य। रयणावलीव महग्या अच्चन्भुयतेयगुणकलिया // 52 // अह अमदिने भोयणकजेण निमन्तिओ धणेणेसो / जिणदत्तो जेणेवं समावपाविद्धिमुवयाइ // 53 // तेणं उवरोहेणं पडिवने भोयणम्मि धणगेहे / भुंजन्तस्स तओ सा हारपहा तालियंटेणं // 54 // धम्मं निवारयन्ती पलोइया तेण निउणदिडीए / सवंगं ता विद्रो जिणदत्तो मयणवाणेहिं // 55 // भुत्तुंत्तरंमि कप्पुरमाइसुरहिम्मि सरसतम्बोले / दिने जिणदत्तेणं गोट्ठीए पुच्छिओ सेवी // 56 // जइ एसा तुह धूया कमा ता मम दिजउ इयाणि / तो सेट्ठीवि पइम्पइ कहसु कुलं तह य नियधम्म // 57 // सिद्धे कुलम्मि भणइ धणो तस्स देमि नियधूयं / सुगुरूणं वयणेणं जो सिवपयपउमसंलीणो // 58 // जिणदत्तगुणावजियहियएण धणेण पुच्छिया गुरूणो / तेहिवि अणणुनाए पडिसिद्धो तेण जिणदत्तो / / 59 // सविसाओ तो पत्तो निययपुरे अजिऊण बहुदवो / एइ पुणो चपाए माहणविञ्जस्थिवेसेण // 60 // उज्झायम्स समीवे गन्तुं सो भणइ विणयपणयपओ / अहमा- Ix // 303 // CAE%

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