Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 314
________________ 01 // पतायां % 81%AA%ECISHA | पिच्छइ अत्थाणगयं रायं आरामिओ तत्तो // 12 // पणमित्तु पायपउमं अप्पइ सहयारमंजरि रन्नो / विनवइ देव ! पिच्छह | चिक्षुर्लोलु महंमि उजाणवरलञ्छि // 13 // जेणं नयरजणाणं रज्जे तुह देव! सुत्थियमणाणं / विलसन्ताणं लच्छि सामिसमक्खं हवइ तोसो // 14 // तत्तो जियसत्तू निवो गच्छह अन्तेउरेण परियरिओ। सामन्नमन्तिमण्डलसामग्गीए समिद्धीए // 15 // महेश्वरगच्छइ उजाणवरे देवी वि हु धारिणी सपरिवारा / आरूढनरविमाणा देवंगच्छाइयसरीरा / / 16 / / तीए गच्छन्तीए महुरा- दृष्टान्तः। वत्थक्ववणियपुत्तेण / दिट्ठो महेसरेणं पायंगुट्ठो अइविसिट्ठो // 17 // तो चक्खुलोलयाए चिन्तइ सो मयणबाणविद्धमणो / जीए अंगुट्ठोवि हु एवं लावन्नसम्पुनो // 18 // तीए तिहुयणअहिया मन्ने सवंगरूवसम्पत्ती / जइ मह इमीए लाहो न होइ ता निष्फलो जम्मो // 19 // तह कामवाणविद्धो सा तीए रूवलच्छीए। पुच्छइ कस्सइ पासे कस्सेसा कहसु वरतरूणी // 20 // तेणवि कहियं रनो अभग्गसोहग्गसम्पयासहिया। लायनपुग्नदेहा पाणप्पिया धारिणी नामा // 21 // तब्बयणस्सवणेणं घयमहुसित्तु व मयणजलणो से / दिप्पन्तो सन्तावं जणइ महन्तं तयंगम्मि // 22 // दुल्लहवत्थुम्माहो दाहो जीवाण जलणविरतेऽवि / जाओ अप्पडियारो विवेयवररयणसंहारो // 23 // तीए संगमरसिओ उवायचिन्तापिसाइयागसिओ। आवणमेसो गिन्हइ रायगिहासन्नभूमीए // 24 // अन्तेउरदासीओ आसन्ने तम्मि आवणे इन्ति / किणणात्थं पयदियहं कप्पूराईण वत्थूण // 25 // सोवि धणड्डवियड्डो बिचित्तभंगेहिं महुरवयणेहिं / आवजह दासीओ पहाणबहुगन्धदाणेण // 26 // सो पुच्छइ तुम्हाणं धारिणीदेवीयसन्तिया काओ / इय पुढे कहियाओ जाओ तासिं मुहा देइ / / 27 // तो हिट्ठा तुट्ठाओ ताओ गन्तूण धारणिं देविं / बहु विन्नवन्ति सामिणि ! एसो वणिओ * 301 // CRECRUCKINARREARRA | दासीओ कणणात्थं पयदियोमसो गिन्ह रायपाडियारो विवेयवरस्यता जणइ महन्तं पिया धारिणी तासि बहादशाहगन्धदाणेण // २वराईण वत्थूण // रासनभूमीर // २४ाने

Loading...

Page Navigation
1 ... 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338