Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala

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Page 313
________________ बयन्तीप्रकरणवृत्तिः / जालोचनेन्द्रि यविषयासक्तौ वणिकपुत्रोदाहरणम् / 300 // मुणिन्दकिरियाकलावकरणेण / कम्मायकविमुक्का लहन्ति अजरामरं द्वाणं // 49 // ।इति श्रोत्रंद्रियविषये भद्राकथानकं समाप्तम् / एवं लोचनेन्द्रियस्यापि गोचरे रमणीयरमणीरूपे प्रतिक्षणं-वीक्षणलोलतायां गम्यागम्यविवेकाविवेकविहीनाः प्राणिनः पतन्ति नरकगोंदरे / तत्राऽनुभवन्ति दुरन्तदुःखानि मथुरावास्तव्यवणिकपुत्रवत् / तहाहि अस्थि इह भरतखित्ते महुरानामेण पुरवरी जीए / अञ्जवि केसवचरियं गिजइ जमुणानईतीरे // 1 // जत्थ उविन्दो जाओ कंसासुरदप्पदलणदुल्ललिओ। अमरावइसगोता धणिमुणिविबुहेहिं सा जुत्ता // 2 // तत्थासि नरवरिन्दो सुत्थीकयसयलमण्डलनिवेसो। जियसत्तुनामेणं अत्थेणवि भुवणविक्खाओ // 3 // जस्स गुणावलिवल्लीवियाणभुयदण्डमण्डवे सुहए। तेलोक्कममणसुढिया( भ्रमणश्रान्ता) सुइरं वसिया सुहं लच्छी // 4 // लायण्णामयसरसी अणुरायवर्णमि सारिणीसरिसी / रूवेण मयणघरिणी तस्सासि धारिणी देवी // 5 // उवणजुवणलच्छी ललियगई तत्थ हरिणतरलच्छी। जा मणमोहणवल्ली अणंगधाणुकवरवल्ली // 6 // अह अच्चन्ते काले निकण्टकं रजमणुहवन्ताणं / ताणं पणयपराणं महुमासमहसवो पत्तो // 7 // जम्मि मलयानिलेणं मउरिजन्तेसु अम्बयवणेसु / इन्ति सिरिनेउरावमहुरं रहन्ति भमरीओ // 8 // कोइलकलावकोमलकलयलदंभेण पंचमं रायं / गाइन्ती महुलच्छी सोहग्गं लहइ लहु निहुयं // 9 // पसरन्ति चच्चरीओ अवरावरचच्चराइट्ठाणेसु / तरूणतरूणीण जासुं नजइ सग्गो समोइनो // 10 // सिंगारसारतरूणीपायपहारेण | जत्थ पुष्फन्ति / परिपूरियदोहलया रत्ता किंकिल्लितरूनिवहा // 11 // बहलमयरन्दसन्दिरमायन्दसुयंधिमंजरीहत्थो / 4 // 30 //

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