Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 289
________________ दर्दुरदेवेन कृता जयन्तीप्रकरणपृत्तिः / परीक्षा श्रेणिक भूपतेः। // 276 // CASAHASRCES भणइ / सो जिणवर ! मरसु तुम जीवसु सुइरं तुमं राय ! // 29 // अभयकुमारामिमुहं मरसु तुमं मंति जीव वा बहुयं / सोयरियं कालं पइ मा जीवसु मा तुमं मरसु // 30 // एवं तन्वयणेन्धणसन्धुक्कियकोवधूमकेउस्स / सेणियस्स दिडी कसिणा पसरईमं धूमकुरुलिब // 31 // चिन्तइ निवोवि एवं कुट्टी पीढच्छलेण पावतरूं। पूहरसेणं सिञ्चइ दुरन्तदुहलक्खफलहेर्ड // 32 // अइविम्हाओ देवो ओहिमाणेण नायरायमणो / जिणपयकमले लीणं संसह फुल्लन्धयं व निवं // 33 // परिमिट्टि पायपउमे लीणो भमरो व एस नरनाहो / निव्वुयदेहो होही सिवसुहमयरन्दपाणेण // 34 // धम्मोवएसविरए जिणिन्दंमि निग्गया परिसा / कुट्ठिस्स निग्गहत्थं निवेण तो पेसिया पुरिसा // 35 // मग्गेण तस्स धावन्तयाण पेच्छन्तयाण सो कुट्ठी / नट्ठो नाओ दियो इमेहि कहिओ नरिन्दस्स // 36 // विम्हइयमणो राया पच्चामन्तूण भणइ जिणपुरओ / को एस कुट्ठरोगी? उवविट्ठो सामिपयवीढे // 37 // कहियम्मि प्रवचरिए बिम्हयभरिए मणमि नरनाहो / पुच्छइ छिक्कासवणे मराइवयणाण किं तत्तं // 38 // अह भणइ जिणो नरवर ! सिद्धि पत्ताण चेव अम्ह सुहं / एगन्तियमचन्तियमणम्तयं होइ नेह पुणो // 39 // अमओ जिणधम्मरओ चिरं जियन्तो घणं कुणइ पुन्न / परलोए सबढे एगावयारो सुरो होही // 40 // जीवन्तो पुण कालो जीवाण घायणमि अइरसिओ / पञ्चत्तगओ होही सत्तमपुढवीए नेरइओ / / 41 // तं पुण नरिन्द जीवसि जाव चिरं ताब रजसुहं / आउंमि परिसम्मत्ते आइमपुढवीए नेरहओ // 42 / / एवं वीरजिणेणं तइलोयदिवायरेण वित्थरिए। दहुरचरिए हरिए छिक्कासन्देहतिमिरम्मि // 43 // सेणियनिवो वियारइ तिहुयणहत्वावलम्बदाणपरे / महहिययष्टुिए वीरजिणंमि कह होइ नरयगई ? // 44 // अहवा सहत्थरोबियदुकम्मसाही दुहिक्कफलदाई / होइ च्चिय जीवाणं को सकद ! AAAACROSEX गओ होही सत्तमरजिणेणं तइलोयाट्रिए वीर // 276 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338