Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala
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________________ // 275 // CAE%%AACA4 काहं // 12 // एसो तस्साएसो विहिओ पुत्तेहि तो तणुमलेण | उच्छिट्ठभोयणेणं सो वाही होइ छगलस्स // 13 // जन्नमि दिसेडुकद्विजहए छगले जस्स दले भक्खिए कुडम्बेण / सो सेडुओ पणट्ठो रन्नपविट्ठो दिसामूढो // 14 // परिपक्कपडियहरड्यबहेडगाईहिं वृत्तान्तः। अइकसायल्लं / सेलमयकुण्डसलिलं रविकरतत्तं पियइ तिसिओ // 15 // होइ अणेण विरेयणमणेगहा तस्स किमिकुलाकिन्न / तेणेस पत्थभोयणकमेण उल्लाघयं पत्तो // 16 // कोसम्बिपुरिनिविट्ठो दिवो हिट्ठो जणेण नीरोगो। कुटेण किलमन्तं सो पिच्छह नियकुडम्बंपि // 17 // मज्झ अवन्नावल्लीए कडुयफलं तुम्ह तेण इय वुत्ते / धिद्धिक्कारहओ सो तओ गओ रायगेहमि // 18 // तत्थ य अत्थविहिणो दुत्थविहत्थो असंत्थुए लोए / भोयणमित्तत्थेणं ओलग्गइ पोलिपाहरियं // 19 // तमि समयंमि भयवं भत्तिब्मरदेवकोडिपरियरिओ / उजाणे गुणसिलए वीरजिणिन्दो समोसरिओ // 20 // नायरजणो नरिन्दो सविड्डीए जिणिन्दवन्दारू / नीहरिओ पोलीए ठवित्तु तं तीए पाहरिओ // 21 // भक्खियदुवारदेवयवली इमो सेडुओ दिओ तिसिओ / मरि जलचिन्ताए वावीए ददुरो जाओ / / 22 // पुण वीरजिणोसरणे महिलासंलावजाइसरणेण / संविग्गो मण्डुक्को जिणरायं वन्दिउ चलिओ // 23 // जिणवन्दणत्थपत्थियसेणियसेणातुरंगखुरप्पहओ / अचलियजिणवरभनीए दहुरो सुरवरो जाओ // 24 // ओहिनाणवियाणियपुत्वभवो एस चिन्तए एवं / एसा जिणिन्दमत्ती अपुबमाहप्पकप्पलया // 25 // वीरजिणन्दस्सुवरि सेणियरायस्स केरिसी भत्ती / एवं विणिच्छयत्थं ओसरणे एइ सो देवो // 26 // दिठो निवेण कुट्ठी पूयरसेणेव चन्दणरसेण / पुणरूत्तं पयबीढं सिञ्चन्तो देवमायाए // 27 // चिन्तइ निवोवि एसो जुगु|च्छणिज्जो जिणिन्दपयवीटे। आसायणदोसिल्लो बहिं गओ निग्गहेयवो // 28 // ता छिक्काए सवणे वीरजिणाईण संमुहं / 275 // KACASSARKARCHAS ॐ

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