Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala

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Page 303
________________ श्री अयन्तीप्रकरणवृत्तिः / अतिशयज्ञानिमुनिवरसंयोगे धम्मों पदेशः। // 29 CHEC // कुलदूसणो किमन्नो ? ममाउ पावो हवह लोए // 24 // एयाए माहणीए उयराओ गम्मनिग्गमो एस / सूयह मह निम्मतं नरयपुरद्दारमुग्घडियं // 25 // सचं चिय जम्पन्ती महदुच्चरियं महाणुभावेसा। अनाणन्धेण मया धिद्धी कह बम्भणी निहया? // 26 // मह पसरियपायाणं दुकम्मपावाण मेरूभूयाण / उवरिं चूला वट्टइ एसा णणु भाहणीहच्चा // 27 // एवं दुकम्मनिन्दापसरेणं परसुघायविसरेणं / छिन्नप्पायं तेण मूलाओ पाववणगहणं // 28 // पुणरवि दढप्पहारी चिन्तइ किं मम जीविएण' / आबालकालउ चिय दुरन्तघणपावमलिणेण // 29 // करवत्तघायभयरवजलजलणनिवायमूलभेयाणं / तो पावसुद्धिहेउं अप्पाणं केण घाएमि? // 30 // अहवा अप्पवहेणं इच्छह जो पावसुद्धिं महमूढो / सो पंकेण विसुद्धिं इच्छइ मयलाण वत्थाणं // 31 // एवं उबिग्गमणो तेसिं चोराण मज्झमवहाय / सुहकम्मपरिणईए वसेण उजाणमणुपत्तो॥ 32 // पेच्छइ तत्थ मुणीन्दे उवसमखीरोयपुन्निमाचन्दे। सज्झायज्झाणपरे पुवजियपावकम्महरे।।३३ // तारागणाण मज्झे जह चन्दो गयणमण्डले भाइ / तह तेण गुरू दिट्ठो दिप्पन्तो साहुमज्झम्मि // 34 // गन्तूण तस्स समीवे दढप्पहारी पमोयभरभरिओ / पणमियपायारविन्दो आसीणो धरणिवम्मि // 35 // विनायतम्मणेहिं अइसइनाणीहिं तेहिं पारद्धा / संसारजलहितरणी धम्मकहा भवकन्नसुहा // 36 // संसारम्मि अपारे पारावारे ममन्तजीवाण / मोहमहानिवदलणी दुल्लहा चउरंगसामग्गी // 37 // उक्तं च-चत्तारि परमंगाणि दुल्लहाणीह जंतुणो। माणुसत्तं सुइ सद्धा संजमंमि य वीरियं // 38 // दलियबो मोहनियो जस्स पभावेण मूढमणपसरा / जीवा धम्माधम्मं गम्मागम्माइं न मुणन्ति // 39 // अमुणन्ता पश्चासवपसत्तचित्ता | भवन्धकूवम्मि / पडिया पभूयकालं लहन्ति दुक्खाई तिक्खाइं // 40 // गिरिसरिओवलघसणसरिसेण अहापवत्तकरणेण / %ARHARAS494 % P // 29 // 9

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