Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala
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________________ // 289 // सेणाए / सद्धिं लुद्धो निवडह अहेगया रूहपरिणामो // 8 // एगो य तत्थ निवसई विप्पो दालिद्दकन्दलीकन्दो। छहदहिय- गर्मवतीडिम्भमण्डलदुकुडम्बो भिक्खणुज्जुत्तो // 9 // अह तम्मि दिणे घयपयसक्करसालीण सम्पओगम्मि / परमन्नमवक्खडियं ब्राह्मणी गहियं चोरेहिं तग्गेहे // 10 // डिम्भाइ रडन्ताई तुरियं गन्तूण तस्स साहिन्ति / अइदारुणदारुकरो निहणइ तेण तओ हत्वा द्रढविप्पो // 11 // पिच्छइ दढप्पहारी तं विप्पं चोरघायणुज्जुत्तं / तो कुणइ विगयपाणं निसियकिवाणं करे काउं॥१२॥ पहारिणो आपाव कीस तुमए कीणासमुहम्मि माहणो खित्तो। एयस्स घायणेणं अहं च डिम्माणि य हयाई // 13 // एयाहिं जात: हच्चाहिं चिश्चइयतणुस्स तुह मयस्सावि / जलणोवि नहु जलिस्सइ सुलहो नरएवि न पवेसो॥ 14 // हा दुद धिट्ठ पाविट्ठ कापश्चात्तापः। चिट्ठ कटुं तए तमिह दिनं / दालिद्ददवो जेणं होही जालावलीकलिओ // 15 // हा कीणास विलम्बसि कीस ? तुम जेण एस जीवाणं / दुहदन्दोलिं दिन्तो जमपन्थे नेसि 1 नहु सिग्धं // 16 // तुम्हारिसाण कुधफंसणाण पावेण अइदुहमरकन्ता / जाइस्सइ पायालं मन्ने सवंसहा अहुणा // 17 // इच्चाइयवयणाई पुणरूतं माहणीवि जम्पन्ती / तेणाऽसिणा हया सा सह गम्मेण दुखण्डभूएण // 18 // पुणरूत्तफुरफुरन्तं गम्भं दहण पाडिसिद्धीए / तस्सवि हिययं कम्पह दारूणदुक्कम्मभर. भरियं // 19 // तो कम्मपरिणईए चित्ताए तस्स होइ अणुतावो। पगरिसपत्तो सोसइ जीवसरे पावजम्बालं // 20 // सो निन्दन्तो रूढं घणवाहजलेण तयणु नियक्खित्ते / दुचरियसस्सं सिञ्चइ तह जह अहलं हवइ सयलं // 21 // किंच-आजम्माओ कयाई मए दुरन्ताइ पावकम्माई / अहह अणिट्ठियदुग्गइपहेसु पाहेयभूयाई // 22 // हिंसाइएसु अट्ठारसेसु हाणेसु भवणे रूढा / पावविसपायवा मह अणन्तमरणाई दाहिन्ति // 23 // माहणकुलेवि जाओ हणामि जीवाण दसविहे पाणा / | // 289 // 25 ACA%AAAA%EOS

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