Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala

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Page 305
________________ जयन्तीप्रकरणवृत्तिः / // 292 // %AC%ACAAAAAG निम्महणं / तं सेयं सिरिसंजमलच्छीसंगिकरसियाण // 58 // द्रक्षत्वाल|| बलिकत्वे द्रढपहारीकथानकम् // सिकत्वविअविसंवादिप्रश्नोत्तरदानसुधापानप्रमोदानिमिषनेत्रारविन्दा सरस्वतीव सहस्रानीकतनया जयन्ती श्रीवीरजिनेन्द्रं पुनरमाक्षीत् षयकप्रश्नो दक्खत्तं आलसियत्तमुत्तमं जिण जयंति ! आलस्सं / पाविट्ठदुदृचिट्ठे सिटुं सड्ढे लोए दक्खत्तं // 23 // चरे नन्दि अस्या व्याख्या-जिन ! किं दक्षत्वं अकालक्षेपेण साध्यसाधकत्वमुत्तमं ? किंवा आलसिकत्वं ?, तदनु भगवान् संबोध्य षेणमुनिपाह-जयंति ! लोके पाविढे दुढचेडे श्रेष्ठमालस्यम् / श्राद्धे लोके दक्षत्वं श्रेष्ठम् / ते घालस्योपहताः प्रायेणऽल्पारंभिणः वरोदाहप्राणीनां न निरन्तरमसातमुत्पादयन्ति / ये पुनराचार्योपाध्यायस्थविरतपस्विग्लानवृषभसाधर्मिककुलगणसंघविनयवैयावृत्या रणम् / दिकरणबद्धान्तःकरणाः तेषां दक्षत्वं तारकोपकारकतया दक्षमुनेरिव भवपरामवकारि भवति / तथाभूताश्च नन्दिषेणसाधुरिव सुराधीशस्यापि श्लाघनीया भवन्ति / तथाहि दीवे जम्बुद्दीवे भरहवासम्मि दाहिणद्धम्मि / मज्झिमखण्डे आरियदेसे एगम्मि गामम्मि // 1 // बालत्तणेवि जणणीजणयविरहेण पत्तदुहसेणो / नामेण नन्दिसेणो एगो माहणसुओ आसि // 2 // माउलगेहम्मि वगृह सह दोहग्गेण पाडि५ सिद्धीए / टप्परकन्नो कजलवनो अइलम्बअहेरूटो // 3 // मरूदेसकूवनयणो वानरवयणो सुथूलदन्तिलो। चिबिडनासो पिंगलकेसो थउडियसिरनासो // 4 // कक्करकक्कसफासो निदुरमासो निसाहपायतलो / अइविसमपाणिपाओ लम्बोयर१ अधरौष्ठः। 2 स्थपुटितशिरोम्यासः उच्चनीचमस्तकरचना यस्य / ' B292 //

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