Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala
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________________ जयन्ती प्रकरणवृतिः / चाणक्यस्य देवलोकप्राप्तिः पैशुन्य // 248 // %ECOCIAA%E0% ARSAX जीवाणं होइ किल समग्गंपि / कम्ममलमइलियाणं सरीरसंगेण सबंपि // 7 // ता मज्झवि कणयस्स व तवेण विविहेण कम्ममलडहणे / कल्लाणप्पा कइया अप्पा सबप्पणा भावी // 71 // एवं विसुद्धभावो चाणको मन्तिसत्तमो सड्डो / आराहिउत्तमट्ठो दियलोए सुरवरो जाओ // 72 // सोवि य सुबन्धुमन्ती पयंमि सयवत्तपत्तपरभागे / सिरिघरए उवलद्धे कमेण चाणक्कपासाए // 72 // चिन्तइ एत्थ भविस्सइ हिरनमणिरयणकणयभण्डारो / सुपयत्तपिहियदारो दीसइ जे एस उयरओ // 73 // लोहन्धो सो मज्झे पेहइ उप्पिहियदारए तम्मि / मंजूसं सविसेसं जत्तेणेगन्तसंठवियं // 74 // हरिसभरमरियहियओ ती उम्मुद्दि. याए मझमि / सुसिलिट्टकट्टकम्मं समुग्गयं पेच्छए तयणु // 75 / / उग्घाडियम्मि तम्मिवि पुडयमज्झम्मि सुरहिवासाण / घाणिन्दियसुहयाणं मुई अवणेइ गहिऊण // 76 // गिण्हन्तो तग्गन्धं साणन्दं तस्स मज्झयारम्मि / पेच्छइ सुबन्धुमन्ती पयर्ड लिहियक्खरभुजं // 77 // संभन्तो करकमले भुजं ठविऊण वाइऊणेसो। भावेइ अक्खराई इमाई जो जिंघिउं वासो | // 78 // भोगुवभोगवयारं अजियक्खो न्हाणभोयणाइयं / सेजासणविलयाहिं काही कीणासअतिही सो // 79 // एयाए गाहाए नवरि माणसंमि पुरियाए / उक्कलियाओ धणियं सुबन्धुमन्तिस्स जायन्ति / / 80 // जइ सच चिय एवं तोऽहं चाणकमन्तिणा निहओ। जीवन्त चिय दुहदवजालावलिलीढसबंगो / / 81 // तो अग्याइयवासे पुरिसे अनम्मि कम्मिवि करेमि / हिययट्ठियपरमत्थो भोगोवभोगेहिं सुपरिक्खं / / 82 // इय चिन्तिऊण अन्नं पुरिसं अग्याविऊण ते वासे / भोगेहिं मयं दहुं सो चिट्ठह दवसाहु व // 83 // अवणियकेसकलावो दुरूज्झियतरूणिसंगमालावो / सिंगारसरसभोयणदिवासणसेजपरिहीणो // 84 // दीणो मणमलीणंगो अट्टज्झाणेण पइदिणं एसो / पेसुन्नपावबीयप्परूढदुक्खंकुरूक्केरो / / 85 / / सचिवो सुब कारिसु बन्धोर्दुःखिजीवनं 2 // 248 //

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