Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala

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Page 279
________________ जयन्तीप्रकरणचिः। मव्याभवविषयजयन्ती प्रश्नोत्तरम् / // 266 // CARALASAIRMERA जयन्ती // 10 // तद्यथा सूत्रंभंते भव्वत्तं किं सभावओ? पावि होइ परिणामा 1 / साहावियं जयन्ति ! भवत्तं नेय परिणामा // 5 // व्याख्या-भदंत ! भव्यत्वं जीवानां किं स्वभावतो भवति ? परिणामतो वेति ? प्रश्नः ! भगवांश्च प्राह-जयंति स्वाभाविकं भव्यत्वं अनादिपरिणामिको भाव इत्यर्थः, न पुनः सादिपरिणामः // चेयन्नं जीवाणं अणाइपरिणामओ जहा सिद्ध / भवत्तमभवत्तं निसग्गओ चेव तहा नेयं // 1 // मणुयत्ते सम्पत्ते आयरियखेत्ताइसम्पयाजुत्ते / सुगुरूवएसलाहे अभवजीवा न बुज्झन्ति / / 2 // तित्थयरेणवि कहिए नेव अभव्वाण होइ पडिबोहो / अन्धोपलंमि परिकम्मणेवि किं होइ पडिबिम्ब ? // 3 // दहण जिणिन्दाण रिद्धिं अनेण हेऊणा कोवि / पडिवनदवलिंगो सुयधम्मधरो अभब्बोवि // 4 // एकारसंगधारी गणहारी होह उज्जुयविहारी / सम्मदंसणरहिओ आयरिओ रोद्ददेवु व्व ॥५॥तहाहि-धम्मकहानलिणीए वियासणे दिणमणिव भासन्तो / आसि पुरा आयरिओ नामेणं रूद्ददेवोत्ति // 6 // गामागरेसु उत्तरपहमि साहूण पंचसएहिं / सह विहरन्तो पत्तो कमसो सो गजणपुरंमि // 7 // तत्थ य पुत्वद्विएहिं सुठियमुरिहिं सुमिणए दिट्ठो / पविसन्तो वसहीए कोलो कलहेहिं परिकिन्नो // 8 // तस्स फलं साहणं पभायसमयम्मि तेहि निदिटुं / अज्जागामी मुणिवरसामी सूरी सयमभब्वो // 9 // सो अत्थपोरिसीए समागओ रुद्ददेवआयरिओ / ववहारनयमएणं सायरपाहुनगउरविओ // 10 // वत्थव्वयसाहहिं आएसमुणीण समुहं भणियं / सुमिणवियारेणेसो नूणमभव्यो गुरू तुम्ह // 11 // संविग्गेहि तेहिं अरत्तदुद्वेहिं भवसत्तेहिं / वो तुम्मेहिं समं रयणीए कीरउ परिक्खा // 12 // तो तेसिं रत्तीए सुत्ताणं खेरूया परिक्खित्ता / पडियारन्ति छन्नं वत्थव्वा CHAALASALA // 266 / /

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