Book Title: Jayanti Charitram
Author(s): Malayprabhsuri, Vijayakumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 264
________________ // 251 // // 23 // अह ससुरकुले सासुनणंदपमुहाई अंगुवंगाई / इज्झन्ति तीए ईसानलेण पसरन्तजालेण // 24 // ताओ संतत्ताओ लमुनिनेत्रपक्खरिअवाएक्ककरूबरसियाओ। तीए महासईए विन्ति असन्तपि तो दोसं / / 25 // भणइ य भइणीसहिया जणणी पुत्तं पतिततृणाजणमि तह मजा / बभिजए सुभद्दा नामेणं नउण कजेणं // 25 // जेणेसा जिणगेहे चिट्ठ गन्तूण साहपासंमि / चिरकालं पनयनेन निस्संका निरंकुसा कह सई होइ ? // 26 // तो भणइ बुद्धदासो कह दोसो माइ जिणहरे होइ ? / गुरूवंभयारिपासे किं दद्धे हंति पूयरया ?|27|| सोलसमकला ससिणो वहइ कलंक कयावि किं माइ!" किं माइ गुणमईए एयाए जणणि ! दोसोवि?॥२८॥ परिवारेण तो ईमीए उवरिं नो संका माइ कावि कायदा / किं अमियसारणीए विसवल्ली होइ कइयावि! // 29 // एवं च सुभदाए सुभद्रोससिप्पहाए गुणाण संसाए / विहडंति ताण सुवयणचक्काई सुदृघडियाई / / 30 // सासूपमुहा ताओ तीए छिदाणि तयणु परि दत्तः मगति / उच्छलियमच्छराओ विलक्खहिययाओ अणुदियह // 31 // एगमि दिणे साहू तीए गेहम्मि एइ एगागी / निप्प कलंकः। डिकम्मसरीरो भिक्खडा मेरूगिरिधीरो // 32 // वायघसा पडिएणं तिषण पज्झरह तस्स नयणं च / पेच्छइ सच्छा दच्छा तहाविहं तं सुमहावि // 33 // चिन्तइ गीयत्था सा छज्जीवनिकायरक्खणं चेव / साहूण संजमो जो तम्मूलं लोयणं नऽनं // 34 // न विणिस्सइ नयणमिणं अवणिजंते तिणमि साहुस्स / एसो निपडिकम्मो नेयं इच्छइ समुद्धरित्रं // 35 // परिभाविऊणं एवं दाणं दिजंतंमि दक्खाए / जीहग्गेणोद्धरिउं / मुणिनयणाओ तिणं तीए // 37 // अवणिज्जन्ते नयणा तिणमि साहुस्स भालवटुंमि / लग्गो कुंकुमतिलओ सबो सरसो सुभदाए // 38 // दिट्ठो मुणिनिग्गमणे सासूपमुहाहिं दुट्ठरमणीहिं / तो लद्धावसराहिं पयासिओ बुद्धदासस्स // 39 // पेच्छसु नियदइयाए कुंकमतिलयच्छलेण अणुरायं / परपुरिसेहि क॥२५१ / / REACTS

Loading...

Page Navigation
1 ... 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338