Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1906 Book 02
Author(s): Gulabchand Dhadda
Publisher: Jain Shwetambar Conference

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ १९०६] पाटणम चौथी कॉन्फरन्स. पर कलकता निवासी राय बहादुर बदरीदासजी मुकीम बम्बई की कॉन्फरन्सके प्रमुख थे परन्तु बडोदाकी कॉन्फरन्समें शामिल नहीं हुवे. इन दो प्रमुखों की नजीर लीजाने तो कहा जासकता है कि बडोदा कॉन्फरन्स के सभापति मुर्शिदाबाद निवासी राय बहादुर बुद्धिसिंहजी भी शायदही पाटन कॉन्फरन्स में पधारे. इस बात पर विश्वार करते हुवे. 'हमकी अफसोस होता है कि जिन सज्जनों पर हिंदुस्थान का संघ विश्वास करके अपना नायक बनावे और प्रमुख पदकी महान अलभ्य इज्जत देवें वह सज्जन उस पदको प्राप्त करके फिर उस संघ की आयंदा सेवा न करें. जिन को एक दफे इस तरहकी आबरू मिल चुकि है उनको हर बक्त संघ की सेवामें हाजर रहनाही उचित है. हम आशा करते हैं, कि हमारे ऐक्स प्रेसिडेंटस जुरूर पाटनके जलसेमें शरीक होवेंगे. 1 बम्बईके जलसेमें गुजरात, मालवा, राजपुताना के और पजाबके जिस कदर आगेवान और प्रतिष्ठित श्रावक पधारे थे उतने बडोदामें शामिल नहीं हुवे और अगर सही नजीरपर खयाल किया जावे तो जितने बडोदामें पधारे उतने पाटनमें नहीं पधारेंगे अगर ऐसाही हाल रहा तो कोई समय ऐसा आवेगा कि जिस वक्त ऐसे सज्जन बिलकुल कम नजर आयेंगे. हम अपने आगेवान प्रतिष्ठित सज्जनोंसे प्रार्थना करते है कि इस कॉन्फरन्स में काम काज चलाने में उनको हरवक्त कटिबद्ध रहकर संघकी सेवा करनाही उचित है. हम विश्वास करते हैं कि हमारे सेठ साहूकार पाटन जरूर पधारेंगे. अन्य प्रतिनिधियों की संख्याभी इस जलसेमें जियादा होना चाहिये क्यौं कि पाटन यह प्राचीन शहर है कि जहांपर कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्यनें कुमारपाल राजाको जैनी बनाकर जैनधर्म का उद्योत किया था, जहांपर सैंकडों प्राचीन मनोहर मन्दिर और सहस्रों सुंदर जिन बिम्ब मौजुद हैं. यह वह स्थान है कि जहांपर पूर्वाचार्यैने अपूर्व ग्रंथोके भंडार स्थापन करके हम लोगों के वास्ते अमुल्य विरासत छोडे हैं, इस जलसे के साथ पाटन में इन प्राचीन भंडारोंका ऐगजीबीशन होगा कि जिससे अपने शास्त्रों की महत्वता अपने धर्म की सचावट मालूम होसकती है और यह भी देख सकते हैं कि उन पुस्तकोंकी क्या हालत है, उनकी हिफाजत कैसे होसकती है, उनके ज्ञानका लाभ हमको किस तरह मिलसकता है गरजाक पाटन कॉन्फरन्ससे पुस्तकोद्धारकी और ज्ञानके प्रचारकी पूरी नवि लगसकती है. ऐसे शुभ काल में हरखास व आम को शामिल होने की उत्कंठा होनी चाहीये. 2 श्वेताम्बर कॉन्फरन्स की कार्यवाहीनें ढूंढीया समाज को भी अपनि सम्प्रदाय की कॉन्फरन्स करनेकी उत्कंठा दिलाई कि जिससे उनकी कॉन्फरन्सभी मोरबी में उन्हीं तारीखों में होगीकि जिन तारीखोंमें अपनी कॉन्फरन्स पाटननें होंगी बहतर होता के दोचार रोजके आगे पीछे इ। कॉन्फरन्सों का जलसा होता और हरेक समाज के अनुष्ययों को एक दूसरे

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 494