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साध्वी मोक्षरत्ना श्री
सम्बन्धित है, अर्थात् जिनमें हमें इन ४० संस्कारों से सम्बन्धित विषय - सामग्री उपलब्ध होती है। इस अध्याय में सर्वप्रथम संस्कारों से सम्बन्धित हिन्दू परम्परा के साहित्य का विवेचन किया गया है और तदनन्तर दिगम्बर एवं श्वेताम्बर - परम्परा के साहित्य का उल्लेख हुआ है।
तीसरे अध्याय में वर्धमानसूरि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के सम्बन्ध में विचार किया गया है तथा प्रस्तुत शोधप्रबन्ध के आधारभूत ग्रन्थ " आचारदिनकर" की विषयवस्तु को प्रस्तुत करके उसकी अन्य परम्पराओं से तुलना करते हुए उसका समीक्षात्मक अध्ययन प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है।
चौथे अध्याय में आचारदिनकर में वर्णित गृहस्थजीवन के षोडश संस्कारों
यथा
१. गर्भाधान - संस्कार २ पुंसवन संस्कार ३. जन्म- संस्कार
४. सूर्य - चन्द्रदर्शन - संस्कार ५. क्षीराशन- संस्कार ६. षष्ठी - संस्कार ७. शुचिकर्म - संस्कार ८. नामकरण संस्कार ६. अन्नप्राशन- संस्कार १०. कर्णवेध संस्कार ११. चूड़ाकरण - संस्कार १२. उपनयन संस्कार १३. विद्यारम्भ - संस्कार १४. विवाह संस्कार १५ व्रतारोपण-संस्कार
१६. अन्त्य - संस्कार की विधियों का उल्लेख करते हुए अन्य परम्पराओं के साथ उनकी तुलना एवं समीक्षा करने का प्रयत्न किया गया है।
पाँचवें अध्याय में आचारदिनकर में वर्णित मुनि-जीवन के षोडश संस्कारों यथा
१.
२.
६.
ब्रह्मचर्यव्रतग्रहण-विधि क्षुल्लक - विधि ४. उपस्थापना-विधि ५. योगोद्वहन-विधि ७. वाचनानुज्ञा-विधि ८. उपाध्याय - पदस्थापना - विधि ६. १०. भिक्षुओं की बारह प्रतिमाओं की उद्वहन - विधि ११. १२. प्रर्वर्तिनीपदस्थापना - विधि १३. महत्तरा - पदस्थापना - विधि १४. अहोरात्र विधि १५. ऋतुचर्या - विधि एवं १६. अंतिम संलेखना की विधि को संक्षेप में उद्धृत कर उन विधियों की अन्य परम्पराओं के साथ तुलना करने का प्रयास किया गया है।
प्रव्रज्या - विधि वाचनाग्रहण-विधि आचार्य - पदस्थापना-विधि साध्वी की दीक्षा-विधि
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छठवें अध्याय में आचारदिनकर में गृहस्थ एवं मुनि- दोनों के लिए सामान्य रूप से निर्दिष्ट १. प्रतिष्ठा - विधि २. शान्तिक-कर्म ३. पौष्टिक - कर्म ४. बलिविधान-विधि ५. प्रायश्चित - विधि ६ आवश्यक - विधि ७. तप - विधि एवं ८.
३.
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