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इस तरह वे प्रकृतिके साथ केवल भावका ही नहीं, कामका सम्बन्ध भी जारी रखेंगे। ___अनुकूल ऋतुओंमें बडे बडे छायादार वृक्षोंके नीचे छात्रोंकी क्लासें बैठेंगी। उनकी शिक्षाका कुछ अश अध्यापकोंके साथ वृक्षोंके नीचे घूमते घूमते समाप्त होगा और सन्ध्याका अवकाशकाल वे नक्षत्रोंकी, पहचान करनेमें, सङ्गीतचर्चामें, पुराणकथाओंमें और इतिहासकी कहानिया सुनने में व्यतीत करेंगे।
कोई अपराध बन जानेपर छात्र हमारी प्राचीन पद्धतिके अनुसार प्रायश्चित्त करेंगे । शास्ति अर्थात् दण्ड और प्रायश्चित्तमें बहुत बड़ा अन्तर है। दूसरेके द्वारा अपराधका प्रतिफल पाना शास्ति है और अपने ही द्वारा अपराधका संशोधन करना-उससे मुक्त होना प्रायश्चित है। छात्रोंको इस प्रकारकी शिक्षा शुरूसे ही मिलना चाहिए कि दण्डस्वीकार करना खुदका ही कर्तव्य है-उसके स्वीकार किये विना हृदयकी ग्लानि दूर नहीं होती। दूसरेके द्वारा आपको दण्डित करना मनुष्योचित कार्य नहीं हो सकता।
यदि आप लोग क्षमा करें तो इस मौकेपर, साहस करके मैं एक वात और कह दूं। इस आदर्शविद्यालयमें वेंच टेबिल कुर्सी और चौकियोंकी जरूरत नहीं।मैं यह बात अँगरेजी चीजोंके विरुद्ध आन्दोलन करनेके लिए नहीं कहता हूँ | नहीं, मेरा वक्तव्य यह है कि हमें अपने विद्यालयमें अनावश्यकताकी आवश्यकता न बढ़ने देनेका एक आदर्श सब तरह स्पष्ट कर रखना होगा । टेविल, कुर्सी, वेंच आदिचीजें मनुष्यको हर वक्त नहीं मिल सकती; किन्तु भूमितल एक ऐसी चीज है कि उसे कोई कभी छीन नहीं ले सकता। इसके विरुद्ध कुर्सी -टेविलें अवश्य ऐसी हैं कि ये हमारे भूमितलको छीन लेती है। क्योंकि