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(१) पदार्थ । पदार्थ जिन पर ये लेख मिले है अनेक प्रकारके है लेकिन ये तीन विभागोंमें विभक्त किये जा सकते है,--पापाण, धातु और मिट्टी | सबसे अधिक और महत्त्वपूर्ण लेख पापाणशिलाओं पर मिले है। __ पापाण-पाषाणके लेख अधिकाश पर्वतोंकी शिलाओं अर्थात् चट्टानों पर हैं। इनमें महाराजा अशोकके १४ लेख आधिक प्रसिद्ध है। ये लेख गिरनार ( जूनागढ़), कालसी (देहरादून), और धौली (उड़ीसा) इत्यादि स्थानोंमें है। इन १४ टेखोंके अतिरिक्त महाराजा अशोकके और भी बहुतसे लेख हैं। अन्य राजाओंके लेख भी बहुत हैं जिनमेंसे मुख्य मुख्य कॉगडा और बीजापुरके जिलों में और मैसूर राज्यमें हैं। इनसे अनेक राजाओंकी राज्यसबधी बहुतसी बातोंका पता चलता है | जैनशिलालेख भी बहुतसे स्थानोंपर है। मैसूर राज्यान्तर्गत श्रवणवेलगुलमें चद्रगिरि और विंध्यगिरि पर्वतोंपर जैनियोंके अनेक महत्वसूचक शिलालेख सस्कृत और कनडी भापाओंमें है जिनसे जैनइतिहाससंबंधी बहुतसी बातोंका पता लगता है। शत्रुजय (पालीताना) तीर्थपर श्रीआदीश्वरभगवानके मंदिर पर और आवू और गिरनारके. अनेक मंदिरोंमें भी कई जैन शिलालेख है। थोडे ही वर्ष हुए उडीसा (कलिंग) में भी कई लेख मिले हैं जिनसे प्रकट होता है कि कलिंगाधिपति राजा खारवेल जैनधर्मानुयायी ही थे। यदि ये शिलालेख न
* इन लेखोंका विस्तारपूर्वक विवरण 'जैनसिद्धान्तभास्करकी १ और २-३ किरणों, 'ऐपीग्राफिका कर्नाटिका' और 'ईन्स्कृपशन्स ऐट श्रवणवेलगोला में दिया है। इन लेखोंके संवधमें बहुतसी ऐतिहासिक और मनोज्ञ वातें हैं परतु वे इस लेखकी सीमासे बाहर हैं अतएव उनका उल्लेख यहाँ नहीं किया जासकता।