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चिता कन्याकी अपेक्षा परिचिता कन्याका चुनाव करना बहुत सहज है। इस लिए पाठको, तुम्हें चाहिए कि अपने दरिद्र पड़ोसीकी जिस हँसमुख कन्याको तुम सुशीला और बुद्धिमती जानते हो, अन्यत्रकी अपरिचिता रूपवती और धनी कन्याका त्याग करके भी उसके साथ विवाह कर लो। ऐसा करनेसे तुम्हारा गृहस्थजीवन बहुत कुछ सुखमय हो जायगा। __ तीसरा उपाय यह है कि कन्याके पिता, भाई, मामा आदिका स्वभाव जानकर उसके स्वभावका पता लगाना । कन्यामें बहुतसे गुण तो ऐसे होते है जो उसकी वंशपरम्परोंसे चले आये हैं और बहुतसे ऐसे होते है जो उसके पालनपोषण करनेवाले लोगोंके सहवास या प्रभावसे उत्पन्न हुए हैं । इसी कारण उसके कुटुम्बियोंका परिचय पाकर स्वयं उसका भी बहुत कुछ परिचय पाया जा सकता है । जिस घरके लोग मूर्ख और दुराचारी हैं उसे छोड़कर जिस घरके लोग सच्चरित्र
और विद्वान् हैं उसी घरकी कन्या लाना चाहिए। ___ अव रूपके विषयमें विचार करना चाहिए। अँगरेजीमें एक कहावत है कि Health is beauty, अर्थात् स्वास्थ्य या निरोगता ही सौन्दर्य है । जहाँ नीरोगता नहीं वहाँ रूप नहीं । नीरोग शरीर
और प्रफुल्ल मनके लिए अगोंका लावण्य अवश्य ही प्रयोजनीय है, परन्तु उसका अधिक विचार करनेकी जरूरत नहीं है। यदि अधिक रूप हुआ तो अच्छा ही है और न हुआ तो कोई हानि भी नहीं है। हमें उस सौन्दर्यके समझनेका अभ्यास करना चाहिए जो मनकी अच्छी वृत्तियोंके प्रभावसे मुखकी आकृतिमें झलका करता है और जो केवल ऑखोंकी विशालता और नाककी ऊँचाईपर अवलम्बित नहीं है । प्रसिद्ध लेखक बाबू बकिमचन्द्रने अपने 'कुन्दनन्दिनी (विषवृक्ष