Book Title: Jain Hiteshi
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 349
________________ - लिए तो भाखाके पदमपुरानजी ही बहुत हैं और वे अव छप गये है इसलिए उनके सँभालनेकी जरूरत नहीं। जिस दिन वी. पी. आया. अपनी तो उसी दिन सुतपंचमी है। - -- - विविध समाचार । जैनजातिका हास-दक्षिणम० जैन सभाके सभापति श्रीयुक्त जयकुमार देवीदासजी चवरे वकीलने अपने व्याख्यानमें कहा है कि भारतके दूसरे समाजोकी जनसल्या जब बरावर बढ़ती जाती है तब जैनसमाजकी जनसंख्या बड़ी तेजीसे घट रही है। पिछले १० वर्षों में हमारी संख्या प्रतिशत ६-४ की कमी हुई है। और जिनजातियोंकी जनसंख्या थोड़ी है उनमें तो यह कभी प्रतिशत १५ से कम नहीं हुई है। हमारे बरार प्रान्तमे तो बहुतसी जातियाँ विलकुल. नाश होनेके सम्मुख हो रही है। बरार प्रान्तके प्रायः सब ही लोग जानते है कि वहाँकी 'कुकेकरी' नामकी एक जैनजातिका थोड़े वर्ष पहले सर्वथा ही लोप हो गया है ! इस पर जैमसमाजके नेताओंको ध्यान देना चाहिए। जैन गुरुकुलकी स्थापना--पालीताणाकी 'यशोविजय जैनपाठशाला' 'श्रीमहावीरयशोवृद्धि जैन गुरुकुल' के रूपमे परिवर्तित कर दी गई । गत अक्षय्यतृतीया (वैशाख शुक्ला तृतीया) को गुरुकुलकी इमारतका मुहूर्त पालीताणाके एड मिनिस्टर मेजर एच. एस. स्ट्रोंग साहबके हाथसे खूब ठाटवाटके साथ किया गया । गुरुकुलमे इस समय ५१ विद्यार्थी है। . नई धर्मशाला--सम्मेदशिखर जानेवाले यात्रियोके आरामके लिए ईसरी स्टेशनपर गुंजेटीवाले सेठ धनजी रेवेचन्दकी ओरसे एक धर्मशाला बन गई है। धर्मशाला स्टेशनसे बिलकुल करीब है।

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