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- चरचाशतक। ____ लीजिए, चरचाशतक भी बहुत ही सुगम और सुन्दर भाषाटीका सहित छपकर तैयार हो गया। चरचाशतककी ऐसी शुद्ध
और सबके समझमें आने योग्य टीका अब तक नहीं छपी। इसका मूलपाठ तो बहुत ही शुद्ध छपा है-जो कई प्रतियोंपरसे सोधा गया है। प्रारंभमें कवित्तोंकी और विषयोंकी अकारादि क्रमसे सूची दे दी गई है। चार नकशे भी साथ छपे हैं। छपाई और कपड़ेकी जिल्द बहुत ही सुन्दर है। इतने पर भी मूल्य सिर्फ चारह आने ।
न्यायदीपका। सुगम हिन्दी भाषाटीका सहित । शायद ही कोई ऐसा जैनी होगा जिसने इस ग्रन्थका नाम न सुना हो। यह जैनन्यायका सबसे पहला सुगम और सुन्दर अन्य है। जो लोग जैनन्यायका स्वरूप जानना चाहते है, पर संस्कृत नहीं जानते उनके सुभीतेके लिए यह सुगमटीका बोलचालकी हिन्दीमें तैयार कराई गई है। विद्यार्थियोंके भी यह बड़े कामकी है। इसका मूलपाठ बहुत शुद्ध छपा है। सुबोध विद्यार्थी विना गुरुके भी इसे पढ़ सकते हैं। मूल्य बारह आना।
मैनेजर-जैनग्रन्थरत्नाकर
हीरावाग, पो० गिरगांव-वम्बई ।