________________ क्रम विषय पृष्ठ संख्या क्रम विषय पृष्ठ संख्या 156 158 161 129. ग्रह ज्योतिष्क और उनके देव 130. वाहन जाति के ज्योतिष्क देव 131. चर-अचर ज्योतिष्कि 132. अढ़ाई द्वीप में कुल ज्योतिष्क संख्या / / 133. द्वीप-समुद्रों में चन्द्र-सूर्य की संख्या निकालने की विधि | 134. सूर्य-चन्द्र की दो-दो पंक्तियाँ 135. मनुष्य क्षेत्र के बाहर चन्द्र-सूर्य का अंतर 136. ज्योतिष्क देवों की गति 137. महर्द्धिक का क्रम 138. सूर्य विषयक ज्ञातव्य 38 बिन्दु 139. चन्द्र विषयक ज्ञातव्य 25 बिन्दु अध्याय 5: क्षेत्र व काल मान | 1. प्रदेश से रज्जू तक का क्षेत्रमाप 2. अंगुल के तीन भेद 157 3. सूची, प्रतर और घन 4. आठ प्रकार का क्षेत्रमाप 160 5. ज्यामितिक आकृतियाँ 6. काल-मान के दो प्रकार 162 7. समय का स्वरूप 164 8. संख्यात काल मान के भेद 164 |9. असंख्यात काल मान | 10. पल्योपम काल के भेद 11. सागरोपम काल के भेद 166 12. गणना संख्या के तीन प्रकार 13. संख्यात का स्वरूप 167 14. असंख्यात का निरूपण 169 15. अनंत का निरूपण 169 | 16. पुद्गल परावर्तन | अध्याय 6 : विज्ञानसम्मत विश्व 142 165 165 167 141 145 146 अध्याय 4 : ऊर्ध्वलोक * बारह कल्पोपपन्न देवलोक 1. सौधर्म-ईशान आदि देवलोक 2. आठ कृष्णराजियाँ 3. नौ लोकान्तिक देव 4. नवग्रैवेयक 5. पाँच अनुत्तर विमान 6. देवों के विमान : आकार व प्रकार 7. विमानों का स्वरूप 8. देवों का उपपात 9. देवों का दिव्य स्वरूप 10. देवों के प्रकार 11. कल्पोपपन्न देवों के दस प्रकार 12. देवियों की उत्पत्ति-स्थिति व प्रकार * सिद्धशिला 13. सिद्धक्षेत्र में सिद्धों की अवस्थिति 14. मोक्ष के योग्य अधिकारी | 1. पृथ्वी पर जीव सृष्टि 145 |2. जीव विकास का क्रम | 3. पृथ्वी के पाँच विभाग 146 4. एशिया खण्ड में भारतवर्ष 147 5. भारतवर्ष की मुख्य नदियाँ 6. ज्योतिष मंडल व चन्द्रमा 148 7. चन्द्र का क्षेत्रफल 8. सूर्यमण्डल 9. तारे तथा प्रकाशवर्ष 10. नीहारिकाएँ | 11. आकाशगंगा | 12. ग्रहों की सूर्य से दूरी 155 172 173 174 174 176 176 177 177 178 178 178