________________ क्रम पृष्ठ संख्या विषय 29 45 विषय पृष्ठ संख्या क्रम विषय 20. विद्याधर श्रेणियाँ | 49. तिगिंछ द्रह और उससे निर्गत नदियाँ 21. आभियोगिक श्रेणियाँ * महाविदेह क्षेत्र 22. ऋषभकूट पर्वत 39|50. महाविदेह क्षेत्र का विस्तार 23. चुल्लहिमवंत पर्वत और पद्मद्रह 40|51. महाविदेह के चार विभाग | 24. चुल्लहिमवंत के 11 कूट 41/52. सोलह वक्षस्कार पर्वत * षट्खण्ड पृथ्वी पर चक्रवर्ती की विजय यात्रा |53. बारह अन्तरनदियाँ 25. चक्रवर्ती के 13 तेले | 54. महाविदेह की विजय 26. चक्रवर्ती के 14 रत्न * देवकुरु-उत्तरकुरु क्षेत्र 27. नौ निधियाँ 55. युगल पर्वत . कालचक्र 56. देवकुरु उत्तरकुरु के द्रह 28. कालचक्र की अवधि 57. कंचनगिरी पर्वत 29. अवसर्पिणी (अपकर्ष) काल | 58. चार गजदन्त (वक्षस्कार) पर्वत 30. कल्पवृक्षों के नाम 51 | 59. नीलवान वर्षधर पर्वत 31. भोगभूमि में उत्पत्ति के कारण 51 /60. केसरी द्रह और उससे निर्गत नदियाँ 32. कुलकरों के उत्पत्ति 52 |* रम्यक्वर्ष क्षेत्र 33. तीर्थंकर जन्म व कर्मभूमि का प्रारम्भ 52 | 61. रुक्मि वर्षधर पर्वत 34. चौबीस तीर्थंकरों के नाम 62. महापुण्डरीक द्रह और , 35. तीर्थंकरों का अन्तरकाल नरकान्ता व रुप्यकूला महानदियाँ 36. चक्रवर्ती * हैरण्यवत क्षेत्र 37. नौ बलदेव | 63. शिखरी वर्षधर पर्वत 38. नौ वासुदेव | 64. पुण्डरिक द्रह और सुवर्णकूला, 39. नौ प्रतिवासुदेव ___रक्त व रक्तवती महानदियाँ 40. दुषम काल के 30 लक्षण 54 |* ऐवत क्षेत्र 41. उत्सर्पिणी (उत्कर्ष काल) | 65. छप्पन अन्तर्वीप * जम्बूद्वीप का हैमवत क्षेत्र लवण समुद्र 43. शब्दापाती वृत्तवैताढ्य 66. चार महापाताल कलश 44. महाहिमवान वर्षधर पर्वत 67. लघु पाताल कलश 45. महापद्म द्रह और उससे निर्गत नदियाँ | 68. जल शिखा * हरिवर्ष क्षेत्र | 69. जलवृद्धि (भरती व ओट) 47. विकटापाती वृत्त वैताढ्य 63 | 70. जलवृद्धि का समय 48. निषध पर्वत 63 | 71. जलवृद्धि रोकने वाले वेलंधर देव (xiv)