________________ भवनपति देवों की तालिका भवनपति का नाम देहवर्ण | वस्त्र वर्ण चिह्न उत्तरार्ध इन्द्र भवन | दक्षिणार्द्ध इन्द्र भवन कुल भवन 1. असुरकुमार श्याम लाल चुडामणी | बलीन्द्र 30 लाख चमरेन्द्र 34 लाख 64 लाख 2. नागकुमार अतिश्वेत | हरा सर्प भूतानेन्द्र 40 लाख | धरणेन्द्र 44 लाख 84 लाख 3. स्वर्णकमार कनक गौर सफेद गरूड़ | वेणुदालीन्द्र | 34 लाख | वेणुदेवेन्द्र | 38 लाख | 72 लाख 4. विद्युतकुमार | | लाल | | हरा हरिसहेन्द्र | 36 लाख | हरिकान्तेन्द्र | 40 लाख | 76 लाख 5. अग्निकुमार | लाल | हरा कलश अग्निमाणवेन्द्र | 36 लाख | अग्निशिखेन्द्र | 40 लाख 76 लाख 6. द्वीपकुमार लाल हरा सिंह विशिष्ठेन्द्र 36 लाख पूर्णेन्द्र | 40 लाख 76 लाख 7. उदधिकुमार श्वेत हरा मगर | जलप्रभेन्द्र | 36 लाख | जलकान्तेन्द्र | 40 लाख 76 लाख 8. दिक्कुमार स्वर्ण जैसा श्वेत हाथी अमिवाहनेन्द्र | 36 लाख अमीतगतेन्द्र | 40 लाख [76 लाख 9. पवनकुमार हरा गुलाबी | अश्व | प्रभंजनेन्द्र 46 लाख | वेलम्भेन्द्र 50 लाख | 96 लाख | 10. स्तनित कुमार स्वर्ण जैसा | सफेद शराव युगल महाघोपेन्द्र | 36 लाख | घोपेन्द्र | 40 लाख 76 लाख - परमाधर्मी देव / परमाधर्मी असुरकुमार देवों की एक निम्न जाति है। ये बहुत क्रूर स्वभाव वाले, निन्द्य प्रवृत्ति वाले और कुतूहलप्रिय होते हैं। इन्हें दूसरों को सताने व परेशान करने में आनंद मिलता है। ये प्रथम तीन नरकों में जाकर नारकी जीवों को भयंकर दु:ख और यातना देते हैं। इसलिये इन्हें परम अधार्मिक='परमाधर्मी' या यमपुरूष' कहा जाता है। (चित्र क्रमांक 20) इनके नाम और कार्य इस प्रकार हैं (1) अम्ब-ये नारकी जीवों को आकाश में ले जाकर नीचे पटक देते हैं। (2) अम्बरीश-ये छूरी वगैरह से नारकी जीवों के छोटे-छोटे टुकड़े कर देते हैं। (3) श्याम-ये रस्सी या लात-घूसों से नारकी जीवों को मारकर भयंकर कष्टकारी स्थानों में ले जाकर पटक देते हैं। (4) शबल-ये नारक जीवों के शरीर की आँतें, नसें और कलेजे आदि को बाहर निकाल लेते हैं। (5) रूद्र-ये भाला-बी आदि नुकीले शस्त्रों में नारकों को पिरो देते हैं। (6) उपरूद्र-ये नारकों के अंगोपांगों को फाड़ देते हैं। (7) काल-ये नारकों को कड़ाही में पकाते हैं। (8) महाकाल-ये नारकों के माँस के खण्ड-खण्ड करके उन्हें जबर्दस्ती खिलाते है। (9) असिपत्र-ये अपनी वैक्रिय शक्ति द्वारा तलवार जैसे तीक्ष्ण पत्तों वाले वृक्षों का वन बनाकर उनके पत्ते नारकों पर गिराते हैं और नारकों के शरीर के तिल जितने छोटे-छोटे टुकड़े कर डालते हैं। (10) धनुष-ये धनुष से तीखे बाण फैंककर नारकों के कान, नाक आदि अवयवों का छेदन करते है। सचित्र जैन गणितानुयोग ON 21 21